अभी कुछ दिन पहले हमने बुंदेलखंड के बंजर पथरीली ककरीली जमीन वाले किसानों के लिए स्पाइनलैस कैक्टस यानी कांटा रहित नागफनी के बारे में बताया था। कांटा रहित नागफनी कहीं ना कहीं जानवरों के लिए हरे चारे का एक विकल्प तो होती ही है इसके साथ ही व्यापारिक दृष्टिकोण से भी कहीं ना कहीं किसानों को बड़ा लाभ भी इससे हो रहा है। झांसी जिले के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत सकरार के किसान प्रिंस जैन के द्वारा अपने खेतों में उस जमीन पर कांटा रहित नागफनी लगाई गई है जहां पर जमीन पथरीली है पत्थरों से भरी पड़ी है। तो वही कांटा रहित नागफनी कैसे लगाई जाती है किस मौसम में लगाई जाती है आपको हम पहले वीडियो में बता चुके हैं।
आज हम आपको यह बताना चाहते हैं कि कांटा रहित नागफनी कहीं ना कहीं व्यापारिक दृष्टिकोण से भी लाभदायक है। ग्राम सकरार निवासी प्रिंस जैन के पास आज भूमि संरक्षण अधिकारी कार्यालय हमीरपुर से डॉक्टर आशुतोष मिश्रा किसानों के साथ पहुंचे। जहां पर उन्होंने 2000 कांटा रहित नागफनी के पत्तों को खरीदा जिसके बदले में डॉक्टर आशुतोष मिश्रा के द्वारा उन्हें 16000 रुपए दिए गए। इसके पहले भी हम आपको बता चुके हैं कि कांटा रहित नागफनी का एक पत्ता सरकार के द्वारा ₹8 में खरीदा जा रहा है। जिस हिसाब से आज किसान प्रिंस जैन को 16000 रुपए 2000 पत्तों को बेचने पर प्राप्त हुए। इसके साथ ही चित्रकूट सहित अन्य जगहों से पत्तों की खरीद के लिए कई ऑर्डर भी किसान के पास पहुंच रहे हैं।
इस संबंध में भूमि संरक्षण अधिकारी कार्यालय से संबद्ध डॉक्टर आशुतोष मिश्रा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि सरकार की मंशा है कि बुंदेलखंड के वह किसान जिनके पास ककरीली पथरीली या बंजर जमीन है वह अपनी इस जमीन पर कांटा रहित नागफनी लगाएं। जिससे कहीं ना कहीं पशुओं के लिए वर्ष में हरे चारे का इंतजाम तो होगा इसके साथ ही सरकार की मंशा के अनुरूप किसानों से नागफनी के पत्ते भी जगह-जगह लगाए जाने के लिए खरीदे जा रहे हैं। जिससे सीधा लाभ किसानों को हो रहा है। सुनिए क्या कहना है डॉक्टर आशुतोष मिश्रा का और किसान प्रिंस जैन का…..
रिपोर्ट: अनुज श्रोत्रिय, झांसी