नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों को 15वीं किस्त जारी कर दी। इस किस्त के तहत 9.5 करोड़ किसानों को 19 हजार करोड़ रुपये की राशि ट्रांसफर की गई। लेकिन उत्तर प्रदेश के कई किसानों को इस किस्त का लाभ नहीं मिल पाया। इसका मुख्य कारण है कि इन किसानों ने अपना केवाईसी पूरा नहीं किया है। केवाईसी का मतलब है कि किसानों का आधार नंबर उनके बैंक खाते से लिंक होना चाहिए। इसके अलावा, किसानों के भूलेख अंकन भी सही होना चाहिए। यदि किसी किसान का आधार नंबर उसके बैंक खाते से लिंक नहीं है, तो उसे अपने नजदीकी बैंक या जनसेवा केंद्र पर जाकर अपना आधार नंबर लिंक करवाना होगा। यदि किसी किसान का भूलेख अंकन गलत है, तो उसे अपने तहसीलदार कार्यालय पर जाकर अपना भूलेख अंकन सुधारवाना होगा।
भारत सरकार ने पीएम किसान सम्मान निधि की 15 वीं किस्त पाने के लिए लाभार्थियों के भूलेख अंकन, बैंक खाते की आधार सीडिंग व ई-केवाईसी को अनिवार्य किया है। इससे किसानों की पहचान और उनके सत्यापन में आसानी होगी और उन्हें बिना किसी देरी के पैसा मिलेगा। ऐसे में बेहतर होगा कि योग्य किसान जल्द से जल्द अपना केवाईसी पूरा करें और फिर अपना स्टेटस चेक करें। किसान अपना स्टेटस चेक करने के लिए पीएम किसान की आधिकारिक वेबसाइट pmkisan.gov.in पर जा सकते हैं। वहां फार्मर्स कॉर्नर में जाकर बेनेफिशियरी लिस्ट के ऑप्शन पर जाना होगा। उसके बाद लाभार्थी अपने राज्य, जिला, तहसील और गांव के विवरण को भरना होगा। सभी जानकारी भरने के बाद लाभार्थी ‘गेट रिपोर्ट’पर क्लिक करके अपना स्टेटस देख सकते हैं।
उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के उप कृषि निदेशक सत्येंद्र चौहान ने बताया कि इस जिले में पीएम किसान सम्मान निधि के लिए पंजीकृत 2 लाख 90 हजार 513 किसानों में से केवल 2 लाख 81 हजार 109 किसानों ने ही अपना केवाईसी पूरा किया है। इसका मतलब है कि 9 हजार 404 किसानों को अभी तक 15वीं किस्त की राशि नहीं मिली है। उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे जल्द से जल्द अपना केवाईसी पूरा करें, ताकि उन्हें अगली किस्त का लाभ मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि जिन किसानों की हाल ही में मृत्यु हो गई है, उनके वारिस भी पीएम किसान सम्मान निधि के हकदार हैं। इसके लिए उन्हें मृतक प्रमाण पत्र, आधार कार्ड और जमीन के कागजात के साथ ऑनलाइन आवेदन करना होगा। इसके बाद उन्हें अपने दस्तावेजों की प्रति उप कृषि निदेशक कार्यालय में जमा करनी होगी। इसके बाद उनका पंजीकरण हो जाएगा और उन्हें भी किस्त की राशि मिलेगी।