पटना: बिहार सरकार ने राज्य के शिक्षकों को आचार संहिता के दायरे में शामिल किया है। जिन शिक्षकों पर आचार संहिता लागू होगी उनमें सरकारी विद्यालयों के प्राथमिक से लेकर बारहवीं तक के करीब 80 हजार शिक्षक शामिल हैं। आपको बता दें कि आचार संहिता के दायरे में राज्य के तमाम सरकारी शिक्षकों को रखा गया है।
इसमें केवल एक बिन्दु को छोड़कर किसी अपवाद की व्यवस्था नहीं की गई है। इसलिए जाहिर तौर पर इसमें नियोजित शिक्षक भी शामिल हैं। अभी हाल ही में शिक्षा विभाग की ओर से संशोधित नियमावली जारी की गई है। इसपर राज्य के शिक्षकों की ओर से मिली जुली प्रतिक्रिया आ रही है। इसके जरिये जहां शिक्षकों को कई प्रकार की नई सुविधाएं दी गई हैं, वहीं कुछ शिक्षक वेतन आदि मुद्दों पर अपना रोष भी व्यक्त कर रहे हैं।
जहां तक बात है शिक्षकों के लिए जारी आचार संहिता की तो इसके जरिये बच्चों के बेहतर चरित्र निर्माण के लिए शिक्षकों पर कई प्रकार की बंदिशें लगाई गईं हैं। अब कोई भी शिक्षक किसी भी प्रकार का नशा नहीं कर सकेगा। इसके अलावा अक्सर देखा जाता है कि कई शिक्षक किसी राजनीतिक दल से जुड़कर उससे जुड़े मुद्दों की सार्वजनिक तौर पर चर्चा करते रहते हैं।
इससे कहीं न कहीं उनके राजनीतिक विचारों का असर उनकी शिक्षण शैली पर भी पड़ता है। लेकिन अब आचार संहिता के जरिये शिक्षकों को किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े रहने को भी प्रतिबंधित कर दिया गया है। यदि कोई शिक्षक इन शर्तों का उल्लंघन करते हुए पाया गया तो उस पर उपयुक्त कार्रवाई की जाएगी। कार्रवाई का स्वरूप क्रियाकलाप के अनुसार तय किया जाएगा।
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आरके महाजन द्वारा जारी इन अधिसूचनाओं के अनुसार प्रारंभिक व माध्यमिक-उच्च माध्यमिक शिक्षकों को समान रूप से आठ आचार संहिताओं का पालन करना होगा।
जबकि एक संहिता दोनों कोटि के शिक्षकों के लिए अलग-अलग है। गौरतलब है कि नई नियमावली से नियुक्त शिक्षकों के लिए पहली बार आचार संहिता लागू हुई है। इसके अनुसार सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों का विशेष रूप से ख्याल रखा गया है। बच्चों का अच्छे से चरित्र निर्माण हो सके, इसी वजह से शिक्षकों पर भी कुछ आवश्यक प्रतिबंध लगाए गए हैं।