नई दिल्ली: प्याज की कीमतों में हो रही बढ़ोतरी से एक ओर जहाँ आम आदमी का बजट बिगड़ रहा है, वहीं इससे प्याज उगाने वाले किसानों को थोड़ी राहत भी मिल रही है। देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक राज्य महाराष्ट्र सहित प्याज उत्पादक दूसरे प्रदेशों जैसे उत्तर प्रदेश और बिहार में प्रतिकूल मौसम के कारण प्याज की फसल को काफी नुकसान पहुँचा है। अनुमान से कम पैदावार होने की वजह से प्याज की कीमतों में लगातार वृद्धि हो रही है। महाराष्ट्र, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात, कर्नाटक और राजस्थान प्याज के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। यहां प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों के कारण प्याज की अच्छी फसल नहीं हो सकी। इसका सीधा असर मांग, पूर्ति व मूल्य पर पड़ रहा है।
जुलाई और अगस्त के मुकाबले अक्टूबर में प्याज की कीमत में काफी बढ़ोतरी हुई है। महाराष्ट्र की प्रमुख मंडी पिंपलगांव में इसकी अधिकतम कीमत 3753 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई है। 2 अक्टूबर को यहां मॉडल प्राइस 2850 रुपये था, जबकि मिनिमम प्राइस 1500 रुपये प्रति क्विंटल था। महाराष्ट्र में प्याज की कीमत में बढ़ोतरी की एक बड़ी वजह बारिश और बाढ़ है। इसके अलावा यहां के कई जिलों में अप्रैल-मई महीनों के दौरान स्टोर करके रखी गई प्याज सड़ गई। इससे भी प्याज की किल्लत हो गई। इस साल महाराष्ट्र के बीड, औरंगाबाद, उस्मानाबाद और लातूर आदि में रखी गई प्याज भीग गई है या उसमें नमी आ गई। नासिक, अहमदनगर, धुले, सोलापुर और जलगांव में भी काफी किसानों की प्याज सड़ गई है। जिसकी वजह से प्याज के भाव में तेजी देखने को मिल रही है।
हालाँकि प्याज का थोक रेट बढ़ने से किसानों को थोड़ी राहत जरूर मिली है। क्योंकि प्याज सड़ने से पहले ही उनका काफी नुकसान हो चुका है। अभी प्याज की उत्पादन लागत 15 से 16 रुपये प्रति किलो हो गई है। ऐसे में उन्हें प्याज की खेती से मुनाफा तभी होगा, जब उन्हें कम से कम उत्पादन लागत का दोगुना दाम मिलेगा। जहां महाराष्ट्र में बारिश और बाढ़ ने प्याज की फसल को नुकसान पहुंचाया वहीं, यूपी और बिहार में ‘ताउते’ और ‘यास’ तूफानों की वजह से प्याज की फसल बड़े पैमाने पर बर्बाद हो गई। इन सभी कारकों का मिलाजुला असर अभी प्याज की कीमत में उछाल के तौर पर देखने को मिल रहा है। अब देखना यह है कि इसे नियंत्रित करने के लिए सरकार की ओर से आगे क्या-क्या कदम उठाए जा रहे हैं।