कृषि पिटारा

आलू की खेती के दौरान इन बातों का ध्यान रखकर आप पा सकते हैं अच्छी पैदावार

नई दिल्ली: धान की कटाई के बाद ज्यादातर क्षेत्रों में आलू की बुआई शुरू हो जाती है। अगर आप भी आलू की खेती करने वाले हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखकर इसकी खेती से आप बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं। आलू की खेती की शुरूआत खेत की तैयारी व बीज के चयन से होती है, इसलिए बेहतर होगा कि सबसे पहले आप मिट्टी की जांच करा लें। इससे आपको यह पता चल जाएगा कि जिस खेत में आप आलू की खेती करने वाले हैं, वह इसके लिए सही है या नहीं?

किसान मित्रों, आलू की खेती के लिए बलुई दोमट का चुनाव करें। साथ ही मिट्टी के पीएच की भी जांच करवा लें। यह जाँच काफी आसानी से हो जाती है। अगर मिट्टी का पीएच मान छह से आठ के बीच में है और भूमि अच्छी जल निकासी वाली है तो ऐसा खेत आलू की खेती के लिए सही है। आलू ही नहीं किसी भी खेती की शुरूआत करते समय ये ज़रूर देखना चाहिए की खेत की मिट्टी का स्वास्थ्य कैसा है? अगर आप आलू की खेती के लिए मिट्टी में जैविक खाद जैसे कि वर्मी कम्पोस्ट, गोबर की खाद या मुर्गी की खाद डालेंगे तो आपके खेत का आलू हरा और मीठा नहीं होगा। आपको बढ़िया उपज प्राप्त होगी और फसल की कीटों व बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी ज्यादा रहेगी। इसलिए मिट्टी में जितना हो सके जैव उर्वरकों का प्रयोग करें।

आलू की खेती में बीज शोधन के साथ-साथ भूमि शोधन भी बहुत जरूरी होता है। जैविक और रसायनिक दोनों विधियों से आप बीज का शोधन कर सकते हैं। जिस खेत में आलू की बुआई करनी हो, उस खेत में उड़द जैसी दलहनी फसलें एक बार जरूर लगानी चाहिए, ताकि मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा बरकरार रहे। इसके लिए सनई व ढैंचा जैसी हरी खाद का भी प्रयोग जरूर करना चाहिए। गर्मी में एक बार खेत की गहरी जुताई करने से खेत में मौजूद कीट-पतंगे मर जाते हैं। इसलिए इस समय खेत की अच्छे से जुटाई ज़रूर करें।

आलू की फसल पर भी कई अन्य फसलों की तरह कुछ रोगों का आक्रमण होता है। पछेती झुलसा रोग को आलू का सबसे भयंकर रोग माना जाता है। इसके अलावा जनवरी-फरवरी महीनों के दौरान आलू की फसल पर सफेद मक्खी के आक्रमण का भी खतरा बना रहता है। इससे बचाव के लिए जैविक कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जा सकता है। किसान मित्रों, जहाँ तक हो सके आलू की खेती के दौरान रासायनिक कीटनाशकों का कम से कम प्रयोग करें। इसके लिए समय-समय पर खेत का निरीक्षण करते रहें, ताकि समय रहते संभावित रोगों की रोकथाम की जा सके।

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