कृषि पिटारा

इन बातों का ध्यान रखने से बढ़ जाती है आम की पैदावार

आम की खेती लगभग पूरे भारत में की जाती है। अगर आप आम से बेहतर फल प्राप्त करना चाहते हैं तो समय रहते आपको कुछ उपाय अपनाने होंगे। इन्हें अपना कर आपको न केवल बेहतर उत्पादन प्राप्त होगा बल्कि फल की गुणवत्ता भी निखरेगी।

आम के बेहतर फल प्राप्त करने के लिए बगीचे की जुताई दो बार क्रमश: जुलाई अगस्त और फिर दिसम्बर महीने में जरूर करें।

पेड़ पर मंजर आने से पहले पेड़ के आसपास लगे खरपतवार की सफाई कर लें और फफूंद नाशक दवाई सलफैक्स और एनीलाक्लोराइड दोनों को मिलाकर पेड़ पर छिड़काव करें। इसके छिड़काव से आम में आ रहे मंजर की बेहतर देखभाल होती है। एक बात का विशेष ध्यान रखें कि अगर पेड़ में मंजर आ चुका है तो भूल कर भी जहरीले रासायनिक पदार्थ का छिड़काव नहीं करें। क्योंकि जहरीले रासायनिक पदार्थ के छिड़काव से फल के भी जहरीले होने की संभावना होती है।

आम के मंजरों का जैविक विधि से उपचार कर बेहतर फल प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए नीम के 15 पीपीएम क्षमता वाले 5 एमएल तेल को 5 लीटर पानी में घोलकर पहली बार मंजर निकलते समय उस पर छिड़काव करें। दूसरी बार सरसों के दाने बराबर टिकोला होने पर व तीसरी बार मटर के दाने के आकार का टिकोला होने पर छिड़काव करें। इस तरह छिड़काव कर टिकोला को नुकसान से बचाया जा सकता है।

आम के मंजर पर नीम के तेल का छिड़काव करने से मंजर झड़ने की समस्या से बचाव होता है।

बगीचे में नमी भी बनाए रखें ताकि जड़ों को पर्याप्त मात्रा में जल मिल सके।

आम में फल लगने के दौरान कई रोग भी लगते हैं। अगर समय पर इनका रोकथाम ना किया जाए तो पेड़ से अच्छे फल नहीं प्राप्त होते हैं।

आम के फल को कुछ कीट काफी नुकसान पहुंचाते हैं। इनमें से एक प्रमुख कीट है – सफेद कीट चेबा या मुझिया। इसकी रोकथाम के लिए नवंबर महीने में ही पेड़ के तने पर जमीन से एक फीट ऊँचाई पर ग्रीस लगा कर प्लास्टिक या पॉलीथिन लपेट दें। इससे यह कीट पेड़ पर नहीं चढ़ पाएगा। इसके अलावा अगर फली डस्ट का 250 ग्राम डस्ट पेड़ के चारो ओर डालकर मिट्टी मिला दें तो इस कीट का प्रभाव नियंत्रित हो जाता है।

आम की पैदावार को एक और कीट काफी नुकसान पहुंचाता है, वो है – भुगना कीट। यह छोटा स्लेटी व गहरे रंग का फुदकने वाला एक कीट है। इसके छोटे बच्चे तथा वयस्क दोनों ही आम के मंजरों, नई शाखाओं और पत्तियों का रस चूसते हैं। इसकी वजह से मंजर सूख जाते हैं और फल भी सूखकर गिरने लगते हैं। यह कीट एक चिपकने वाला मधु जैसा पदार्थ पैदा करता है। इससे पत्तियों पर काली फफुंद जम जाती है और पूरी पत्ती काली पड़ जाती है।

इस कीट से बचने के लिए जनवरी के अंतिम सप्ताह से कीटनाशकों का छिड़काव शुरू कर दें और इसे अप्रैल महीने तक जारी रखें। छिड़काव के लिए लेम्बडा साई एलोथ्रीन 1 एमएल प्रति लीटर या रोगर 2 एमएल प्रति लीटर की दर से प्रति व्यस्क पेड़ 25 लीटर घोल बनाकर मंजर, पेड़ की टहनी और पत्तों पर इतना छिड़काव करें कि पूरा पेड़ भींग जाए।

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