नई दिल्ली: कपास की खेती के मामले में भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश है। यहाँ हर सीजन में लगभग 62 लाख टन कपास का उत्पादन होता है। दुनिया भर में कपास उत्पादन के मामले में भारत का योगदान 38 प्रतिशत से भी ज्यादा है। गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, तेलंगाना, आँध्रप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान हमारे यहाँ प्रमुख कपास उत्पादक राज्य हैं। कपास दुनिया भर में लगभग 35 करोड़ लोगों के जीवनयापन का जरिया है। इसका कुल बाजार लगभग 90 हजार करोड़ रुपए का है। इसकी खेती से जुड़े लगभग 90 प्रतिशत किसान छोटी जोत के हैं। यानी उनके पास 2 हेक्टेयर से कम जमीन है।
कुछ रिपोर्ट्स में ऐसा दावा किया जा रहा है कि आने वाले कुछ वर्षों में भारत सहित दुनियाभर में हो रही 70 प्रतिशत कपास की खेती पर जलवायु परिवर्तन का असर पड़ सकता है। हाल ही में ‘कॉटन-2040 इनिशिएटिव’ की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है कि कपास की खेती को बाढ़, सूखा और तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है। इससे पहले ‘नेचर क्लाइमेट चेंज’ में भी प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह कहा गया था कि जलवायु परिवर्तन की वजह से दुनियाभर में हो रही खेती पर बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया है, खासकर उन देशों में, जहाँ गर्मी ज्यादा पड़ती है।
फिलहाल कपास की खेती करने वाले काफी किसान यह कह रहे हैं कि साल दर साल उनकी पैदावार में कमी देखने को मिल रही है। इसकी वजह है – फसल पर कीटों के हमले में बढ़ोतरी। कपास की फसल में कीट ना लगें इसके लिए कुछ किसान बीटी कपास लगाते थे, लेकिन अब तो उससे भी फायदा नहीं हो रहा है। पहले तो दूसरे-तीसरे साल में कीटों का प्रकोप देखने को मिलता था, लेकिन अब हर साल फसल बर्बाद हो रही है।
‘कॉटन-2040 इनिशिएटिव’ की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आने वाले समय में जलवायु परिवर्तन की वजह से कपास की 50 प्रतिशत खेती सूखा जबकि 20 प्रतिशत रकबा बाढ़ की चपेट में आ सकता है। और इसका असर सभी कपास उत्पादक देशों यानी भारत, अमेरिका, चीन, ब्राजील, पाकिस्तान और टर्की पर पड़ेगा। हालाँकि इसका सबसे अधिक असर उत्तर-पश्चिम अफ्रीका, सूडान, मिस्र, दक्षिण और पश्चिम एशिया पर पड़ सकता है। कपास की खेती करने वाले किसान अधिक पानी और कम पानी, दोनों ही समस्याओं जूझेंगे। पहले से ही मौसम की मार झेल रहे कपास किसानों को आने वाले समय में और मुश्किलों का भी सामना करना पड़ सकता है।