पटना: बिहार सरकार ‘अपनी क्यारी – अपनी थाली’ योजना का विस्तार करेगी। बताया जा रहा है कि अब इस योजना को राज्य के सभी जिलों में शुरू किया जाएगा। योजना की शुरुआत उन 23 हजार आंगनबाड़ी केन्द्रों में होगी जहाँ जमीन की उपलब्धता है। फिलहाल ‘अपनी क्यारी – अपनी थाली’ योजना प्रदेश के चार जिलों में चल रही है। जब इस योजना शुरूआत हुई थी, तब इन चार जिलों में आंगनबाड़ी केन्द्रों के बच्चों को मशरूम जैसी पौष्टिक सब्जी देने की शुरुआत हुई थी। इसके काफी सकारात्मक परिणाम सामने आए। बच्चों ने इन्हें खाने में रुचि दिखाई। इससे उनमें पोषण के स्तर में पर्याप्त वृद्धि दर्ज की गई।
‘अपनी क्यारी – अपनी थाली’ योजना के विस्तार के लिए आईसीडीएस ने जमीन के रकबे के अनुसार खेती का मॉडल तैयार करने की ज़िम्मेदारी बिहार कृषि विश्वविद्यालय को दी है। इस दिशा में आगे बढ़ते हुए बीएयू ने 20 मॉडल तैयार किए हैं। अब तमाम आंगनबाड़ी सेविकाओं और सहायिकाओं को खेती का गुर सिखाया जाएगा। फिलहाल राज्य के 115 केन्द्रों पर सब्जी उत्पादन किया जा रहा है। इनमें खगड़िया के 40, नालंदा के 25 और पूर्णिया के 50 केन्द्र शामिल हैं। नए फैसले के तहत अब 23 हजार केन्द्रों में अलग-अलग मॉडल पर खेती की जाएगी।
बिहार कृषि विश्वविद्यालय के जरिये आईसीडीएस द्वारा चलाई जा रही ‘अपनी क्यारी – अपनी थाली’ योजना से कुपोषण को दूर करने में काफी मदद मिल रही है। इस योजना के जरिये न केवल बच्चों बल्कि धातृ महिलाओं को भी पौष्टिक सब्जियाँ दी जाती है। खास बात यह है कि तमाम पोषक तत्वों से भरपूर इन सब्जियों को उत्पादन भी आंगनबाड़ी केन्द्रों में ही होता है। इसके अलावा महिलाओं को पौष्टिक सब्जियों के जरिये कुपोषण को दूर करने के बारे में जानकारी भी दी जाती है। इसमें किसान रेडियो एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, क्योंकि इसके जरिये ही लक्षित समूहों यानी महिलाओं और बच्चों को जागरूक किया जा रहा है।