नई दिल्ली: बरसीम पशुओं के चारे के लिए उपयोग में लाई जाने वाली एक प्रमुख फसल है। पशुओं के लिए यह काफी पौष्टिक मानी जाती है और वो इसे काफी चाव से खाते हैं। यहाँ तक कि जो पशु सूखे चारे में अनाज आदि मिलाने के बाद भी चारे को नहीं खाते हैं, वो बरसीम के साथ बड़े आराम से अपना चारा समाप्त कर देते हैं। इस फसल की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसकी बढ़वार काफी जल्दी होती है। बरसीम की फसल अकेले या अन्य किसी फसल के साथ उगाई जा सकती है। फसल परिपक्व होने के बाद एक निश्चित समय समय तक ज़रूरत के अनुसार बरसीम की कटाई की जा सकती है। कटाई के बाद भी कुछ समय तक बरसीम से नई फसल तैयार होती रहती है, जिसका उपयोग आगे भी पशुओं के चारे के तौर पर किया जा सकता है।
बरसीम की फसल भारी जमीन में अच्छी तरह से उगती है। अगर आप चाहें तो हल्की दोमट मिट्टी में भी इसकी खेती कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए आपको खेत की लगातार सिंचाई करनी पड़ेगी। बरसीम की खेती करने से आपको एक फायदा यह भी होगा कि इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति व भौतिक तथा रासायनिक क्रिया सुधरती है।
बेहतर उपज के लिए आप बरसीम की निम्न उन्नत क़िस्मों का चुनाव कर सकते हैं – BL 1, BL 10, BL 22, HFB 600 और BL 180 इत्यादि। बरसीम की बिजाई के लिए सितंबर के आखिरी सप्ताह से लेकर अक्टूबर का पहला सप्ताह सही समय होता है। इसकी बिजाई के समय ज़मीन समतल होनी चाहिए। फसल के अच्छे विकास के लिए यह ज़रूर ध्यान रखें कि ज़मीन में पानी ज्यादा समय तक नहीं टिकता हो। बरसीम की बिजाई छींटे विधि द्वारा की जाती है। जहाँ तक सवाल है बीज की गहराई की तो यह मौसम के स्थिति पर निर्भर करता है। लेकिन समान्यतः यदि आप बीज की गहराई 4 से 5 सेंटीमीटर रखेंगे तो आपको अच्छी पैदावार प्राप्त होगी। यहाँ पर एक बात का उल्लेख विशेष तौर पर करना ज़रूरी है, वो ये कि, बरसीम की बिजाई हमेशा शाम के समय करनी चाहिए।
बिजाई करने से पहले बरसीम के बीजों को पानी में भिगो दें और जो बीज पानी के ऊपर तैरने लग जाएँ उन्हें बाहर निकाल दें। बीज की मात्रा 8-10 किलो प्रति एकड़ रखें। अगर आप अच्छी गुणवत्ता का चारा चाहते हैं तो इसके लिए बरसीम के बीजों के साथ सरसों के बीज भी ज़रूर मिलाएँ। बिजाई से पहले बीज का उपचार राइज़ोबियम से कर लें। इसके लिए राइज़ोबियम के एक पैकेट में 10 प्रतिशत गुड़ मिलाकर घोल तैयार कर लें। फिर इस घोल को बीज के ऊपर छिड़क दें और बाद में बीज को छाँव में सुखा दें।
हल्की ज़मीनों में बरसीम की पहली सिंचाई 3-5 दिनों में और भारी जमीनों में 6-8 दिनों के बाद करें। सर्दियों में 10-15 दिनों के अंतराल पर और गर्मियों में 8-10 दिनों के अंतराल पर बरसीम की सिंचाई करना ज़रूरी है। बरसीम की फसल बिजाई के 50 दिनों के बाद कटाई के योग्य हो जाती है। आप सर्दी के मौसम में 40 दिनों के अंतराल पर और बसंत में 30 दिनों के अंतराल पर फसल की कटाई कर सकते हैं।