लखनऊ: उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों को चालू पेराई सीजन 2018-19 (अक्टूबर से सितंबर) में राज्य परामर्श मूल्य को लेकर मायूसी हाथ लगने वाली है. वजह है – प्रदेश की सरकार द्वारा गन्ने के राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) में वृद्धि नहीं किया जाना. नया पेराई सीजन शुरू हुए दो महीनें गुज़र चुके हैं, इसके बावजूद राज्य की चीनी मिलों पर पिछले पेराई सीजन 2017-18 का 4,374 करोड़ रुपये बकाया बचा हुआ है. ऐसे में, अब इस बात के पूरे आसार दिख रहें हैं कि प्रदेश के किसानों को पिछले साल के भाव 310 से 325 रुपये प्रति क्विंटल पर ही गन्नें की बिक्री करनी पड़ेगी.
प्रदेश के गन्ना किसानों की उम्मीदों पर मात्र यहीं तक पानी नहीं फिर रहा है बल्कि किसान इस बात की भी शिकायत कर रहे हैं कि शुगर मिलों द्वारा पर्चियाँ भी कम दी जा रही हैं. जिससे एक और समस्या खड़ी हो रही है -शुगर मिलों के इस कदम से गन्ना किसानों के खेत समय पर खाली होने से रहे. ऐसे में, गेहूँ की बुवाई में देरी होना लगभग तय है. कहना न होगा कि प्रदेश के गन्ना किसान फसल का उचित एसएपी न मिलने के कारण न चाहते हुए भी दोहरा नुकसान झेलने के कगार पर पहुँच गये हैं.
बताते चलें कि, प्रदेश सरकार ने पिछले पेराई सीजन यानि 2017-18 के दौरान गन्ने के एसएपी में केवल 10 रुपये की बढ़ोतरी का फैसला किया था. जिससे सामान्य प्रजाति के लिए 315 रुपये प्रति क्विंटल एवं अगेती प्रजाति के लिए 325 रुपये प्रति क्विंटल भाव निर्धारित हुआ था.
प्रदेश में गन्ना किसानों को दुविधा में डालने की एक तस्वीर यह भी है कि गन्ने का पेराई सीजन शुरू हुए तक़रीबन दो महीने बीत चुके हैं और अब तक केवल 106 चीनी मिलों में ही पेराई आरंभ हो पाई है. जबकि चालू पेराई सीजन में राज्य में 121 चीनी मिलों में पेराई होनी है. पिछले साल 119 चीनी मिलों में पेराई हुई थी. इससे एसएपी को लेकर किसानों की रही सही उम्मीद भी टूटने की ओर है.