नई दिल्ली: अधिक मुनाफे के लिए अब काफी किसान औषधीय पौधों की खेती कर रहे हैं। कम लागत और मांग बढ़ने के कारण किसानों को इनकी खेती से अच्छी आमदनी हो रही है। ये पौधे आज पारंपरिक फसलों की खेती के एक विकल्प के रूप में उभरे हैं। किसानों की आय बढ़ाने को प्रयासरत सरकार भी अधिक मुनाफा देने वाली फसलों की खेती को प्रोत्साहित कर रही है।
अगर आप भी औषधीय पौधों की खेती करना चाहते हैं तो सर्पगंधा की खेती आपके लिए एक बेहतर विकल्प साबित हो सकती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि भारत में पिछले 400 वर्षों से सर्पगंधा की खेती किसी न किसी रूप में हो रही है। विभिन्न बीमारियों के निदान में एक प्रमुख औषधि के तौर पर इसका उपयोग बहुत पहले से किया जाता रहा है। सांप और अन्य कीड़े के काटने पर भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। इस समय उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, उड़ीसा, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल और महाराष्ट्र आदि राज्यों में इसकी खेती बड़े पैमाने पर हो रही है।
सर्पगंधा की खेती तीन प्रकार से की जाती है। इसकी खेती की पहली विधि यह है कि तने से कलम बनाकर खेती की जाए। इसके लिए बुआई से पहले सर्पगंधा की कलमों को 30 पीपीएम वाले एन्डोल एसिटिक एसिड वाले घोल में 12 घंटें तक डुबोकर रखना चाहिए। इसके बाद बुआई करने से पैदावार अच्छी होती है।
दूसरी विधि में सर्पगंधा की जड़ों से बुआई की जाती है। इसके तहत सर्पगंधा की जड़ों में मिट्टी और रेत मिलाकर पॉलीथीन की थैलियों में इस प्रकार रखा जाता है कि पूरी कटिंग मिट्टी से दब जाए तथा यह मिट्टी से मात्र 1 सेंटीमीटर ऊपर रहे। ये जड़े एक महीने के अंदर अंकुरित हो जाती हैं। इसके बाद पौधों की बुआई की जाती है। इस विधि से बुआई करने के लिए एक एकड़ खेत में लगभग 40 किलोग्राम रूट कटिंग की आवश्यकता होती है।
सर्पगंधा की खेती का तीसरा तरीका है बीजों से बुआई का। इस विधि को सबसे बेहतर माना जाता है। लेकिन इसके लिए अच्छे गुणवत्ता वाले बीजों का चयन बहुत जरूरी है। पुराने बीज ज्यादा नहीं उग पाते है, इसलिए नए बीज से बुआई की सलाह दी जाती है। बीजों से सर्पगंधा की बुआई के लिए सबसे पहले उन्हें नर्सरी में लगाया जाता है। फिर जब पौधे में 4 से 6 पत्ते आ जाते हैं तो उन्हें पहले से तैयार खेत में लगा दिया जाता है। अधिक उत्पादन देने के लिए यह विधि सबसे कारगर साबित होती है। सर्पगंधा के पौधों को एक बार बोने के बाद दो वर्ष तक खेत में रखा जाता है। इसलिए खेत को अच्छे से तैयार करना बहुत ज़रूरी है। खेत में जैविक खाद मिला देने से फसल की बढ़वार अच्छी होती है।