कृषि पिटारा

एरोपोनिक: इस नई तकनीक से बदल रहा है आलू की खेती का स्वरूप

करनाल: आलू की खेती में एक नई क्रांति का समय आया है, जहां एरोपोनिक तकनीक का प्रयोग करके बिना ज़मीन और मिट्टी के ही इसे उगाया जा रहा है। हरियाणा के करनाल जिले में स्थित आलू प्रौद्योगिकी केंद्र ने इस तकनीक को डेवलप किया है और सरकार ने इसे आलू की खेती के लिए मंजूरी दी है। मध्य प्रदेश बागवानी विभाग ने भी इसका लाइसेंस प्रदान किया है, इससे आलू की खेती में वृद्धि हो सकती है। हालाँकि, इस तकनीक का चलन इज़राइल में काफी पहले से होता रहा है।

एरोपोनिक तकनीक में आलू के पौधों को ज़मीन की बजाय हवा में उगाया जाता है। इस तकनीक में पौधों को लटकती हुई जड़ों के माध्यम से पोषण पहुंचाया जाता है। इसके लिए पोषक तत्वों को जड़ों पर स्प्रे किया जाता है। इसके बाद पौधों को खुली हवा और रोशनी में रखा जाता है, जिससे पौधों को पूरा पोषण मिलता है।

आलू प्रौद्योगिकी केंद्र के अनुसार, इस तकनीक का इस्तेमाल करके जमीन की कमी को पूरा किया जा सकता है। इससे उपज कई गुना तक बढ़ सकती है। इसके परिणाम स्वरूप किसान आलू की ज्यादा फसल उगा सकते हैं और कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। चूंकि एरोपोनिक तकनीक में लटकती हुई जड़ों के माध्यम से पौधों को पोषक तत्व दिये जाते हैं, जिससे स्वस्थ और अच्छे बीजों के विकास में भी मदद मिलती है।

इस तकनीक का इस्तेमाल करने पर आलू की पहली फसल 70 से 80 दिनों में उगने लगती है और इससे बड़ी मात्रा में उत्पादन होता है। एरोपोनिक तकनीक का इस्तेमाल करने से आलू की फसल में मिट्टी के कारण होने वाले रोगों की संभावना कम रहती है, जिससे किसानों को नुकसान कम होता है और मुनाफा बढ़ता है। इस तरह, एरोपोनिक तकनीक ने आलू की खेती में एक नया विकल्प जोड़ दिया है, जिससे किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी हो रही है।

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