कृषि पिटारा

कृषि और पशुपालन एक सिक्के के दो पहलू हैं।

किसान मित्रों पशुपालन को लेकर के रिसर्च एवं अनुसंधान कर रहे कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय बांदा के असिस्टेंट प्रोफेसर मयंक द्विवेदी द्वारा पशुपालन के संबंध में किसानों को अपने विचार प्रस्तुत किए हैं।

जहां पशुपालक एवं प्रबंधन डिपार्टमेंट के प्रोफेसर ने कहा कि कृषि और पशुपालन दोनों ही एक सिक्के के दो पहलू हैं पशुपालन के लिए उचित प्रबंधन की आवश्यकता पड़ती है खासकर बुंदेलखंड की जलवायु के संबंध में बात की जाए तो छोटे काश्तकार और छोटे किसान पशुपालन करने के लिए बकरी पालन करना उनके लिए अत्यंत लाभकारी होगा।

खास कर बुंदेलखंडीय एटमॉस्फेयर की बकरी का पालन करना सर्वोत्तम उचित होगा क्योंकि हर मौसम में इस प्रजाति की बकरी अपने आप को सर्वाइकल करती है और इससे किसान की आमदनी भी बढती है और खर्चा भी ज्यादा नहीं पड़ता।

कृषि विश्वविद्यालय के वेटरनरी डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर मयंक द्विवेदी जी ने बकरी पालन को लेकर बकरियों के प्रबंधन और रखरखाव को लेकर निर्देश में दिए गए सुझाव को बताया है कि छोटे से छोटा काश्तकार और छोटा व्यक्ति भी व्यापारिक दृष्टिकोण को देखते हुए बकरी पालन करके अच्छा लाभ कमा सकता है।कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय बांदा में पशुपालन को लेकर के बनाए गए बकरी पालन सेड और पशुपालन में गाय पालन सेड भैंस पालन सेड सभी को रखने के लिए जगह बनाई गई है। और पर्याप्त संसाधन की व्यवस्था की गई है इस रखरखाव को देखकर किसान अपने पशुधन और पशुओं का पर्याप्त देखभाल कर सकता है और अनुकरण कर अधिक लाभ कमा सकता है।

मयंक द्विवेदी (असिस्टेंट प्रोफेसर कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय बांदा वेटरिनरी डिपार्मेंट) से विशेष बातचीत।

संवाददाता – साकेत अवस्थी, बाँदा (यूपी)

Related posts

Leave a Comment