कृषि पिटारा

ऐसे बनाएँ तरल जीवामृत, इसके उपयोग से बढ़ेगी मिट्टी की उर्वरता

नई दिल्ली: तरल जीवामृत एक बहुत ही प्रभावशाली जैविक खाद है, जो फसल की वृद्धि और विकास में सहायक होता है। यह पौधों की विभिन्न रोगाणुओं से सुरक्षा करता है। इससे पौधों की प्रतिरक्षा क्षमता में वृद्धि होती है और पौधों का विकास अच्छे से होता है। अगर आप भी तरल जीवामृत बनाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको कुछ सामग्रियों का प्रबंध करना होगा। जैसे –


देशी गाय, बैल या भैंस का 10 किलो गोबर।
10 लीटर गोमूत्र
पुराना सड़ा हुआ 1 किलो गुड़।
अगर गुड़ न मिले तो आप 4 लीटर गन्ने का रस भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
गन्ने के रस के अलावा आप 1 किलो पिसी हुई दाल भी लें।

इसके बाद 1 किलोग्राम सजीव मिट्टी लें। किसान मित्रों, बरगद या पीपल के पेड़ के नीचे की मिट्टी को सजीव मिट्टी कहते है। अगर पीपल या बरगद के पेड़ के नीचे की मिट्टी न मिले तो ऐसे खेत की मिट्टी प्रयोग की जा सकती है जिसमें कीटनाशक न डाले गए हों।

इन सारी सामग्रियों के अलावा 200 लीटर पानी और एक बड़े ड्रम का प्रबंध करें।

ये सारी समग्रियों को इकट्ठा करके किसी बड़े ड्रम में रखे 200 लीटर पानी में डालकर किसी डंडे की सहायता से इस मिश्रण को अच्छी तरह मिलाएँ। जब ड्रम में रखी सारी सामग्रियाँ अच्छी तरह से मिश्रित हो जाएँ तो ड्रम को ढँककर कहीं छाया में रख दें। ध्यान रखें कि इस मिश्रण पर सीधी धूप नहीं पड़नी चाहिए।

इसके बाद अगले दिन इस मिश्रण को फिर से किसी डंडे की सहायता से मिलाएँ। इस प्रक्रिया को अगले 6 – 7 दिनों तक दुहराते रहें। अगले एक सप्ताह बाद जीवामृत उपयोग के लिए बनकर तैयार हो जायेगा। आपके पास मौजूद 200 लीटर जीवामृत एक एकड़ भूमि के लिए पर्याप्त है। आप इसका उपयोग अपनी आवश्यकता अनुसार कर सकते हैं।

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