वर्तमान में बारिश का मौसम होने के कारण खेत, बाग और जंगलों में हरा चारा बहुत अच्छी तरह से उग रहा है। पीने के पानी की भी कमी नहीं है। जगह-जगह पानी उपलब्ध है। हालांकि, एनिमल एक्सपर्ट्स के मुताबिक, मॉनसून के मौसम में हरा चारा और पानी ही जीवों के लिए बीमारियों की मुख्य वजह बनते हैं। इसलिए, हरी चारा खिलाने और पानी पिलाने के दौरान सतर्कता बरतनी ज़रूरी है। बरसात के मौसम में पशुओं को बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण अहम भूमिका निभाता है। अगर पशुपालक गांव में पशुओं के अस्पताल या डिस्पेंसरी के डॉक्टर के संपर्क में रहते हैं, तो वे पशुओं की बीमारियों पर नजर रख सकते हैं।
बरसात के कारण जगह-जगह पानी जमा हो जाता है, खासकर गांवों की पोखर और तालाबों में। हालांकि, इस पानी में कीटाणुओं की वृद्धि होती है। मच्छर भी इस जमा हुए पानी पर लार्वा छोड़ने लगते हैं। जब हमारे पशु इस पानी को पीते हैं, तो वे बीमार पड़ जाते हैं। इसलिए, खासकर बरसात के दिनों में पशुओं को खुले में पानी पिलाने से बचें। हमेशा ताजा पानी को बाल्टी या किसी अन्य बर्तन में लेकर ही पशुओं को पिलाएं। पशुओं को घर पर ही पानी पिलाएं। अगर संभव हो, तो गांव के पोखर और तालाबों में बरसाती पानी जमा न होने दें। अगर पानी जमा हो जाए तो उसमें लाल रंग की दवा मिला दें।
बरसात के मौसम में पशुओं के हरे चारे पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इस मौसम में हरे चारे पर नमी बहुत होती है और कई प्रकार के कीटाणु हरी पत्तियों और डंठलियों पर मौजूद हो जाते हैं। हरे चारे में इस दौरान पानी भी बहुत होता है। ज्यादा हरे चारे खाने से पशुओं को डायरिया हो सकती है। यदि संभव हो, तो हरे चारे को काटकर और थोड़ा सुखाकर ही पशुओं को खिलाएं।