नई दिल्ली: कृषि मंत्रालय ने कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। किसानों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए, कृषि मंत्रालय ने किसान कॉल सेंटर की कार्यप्रणाली में बदलाव करने का निर्णय लिया है। इस नए बदलाव के परिणामस्वरूप, अब किसानों के प्रश्नों का रीयल टाइम पर उत्तर दिया जाएगा। इसके लिए एडवांस संचार माध्यमों का उपयोग किया जाएगा, जैसे कि चैटबॉट, वीडियो कॉलिंग, ऑडियो क्लिप और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस। इन तकनीकों की मदद से किसान कॉल सेंटरों की कार्यप्रणाली में एक नया मोड़ आएगा।
कृषि मंत्रालय के अनुसार, इस नए प्रयास का उद्देश्य किसानों को खेती से संबंधित मुद्दों के समाधान में सहायता प्रदान करना है। किसान अब तकनीकी माध्यमों का उपयोग करके अपनी समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकेंगे, जैसे कि पशुपालन, मत्स्य पालन, कुक्कुट, मधुमक्खी पालन, बागवानी, रेशम उत्पादन, एग्रीकल्चर बिजनेस, जैव प्रौद्योगिकी, गृह विज्ञान और एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग आदि। कृषि मंत्रालय ने बताया कि किसान कॉल सेंटर के एजेंट्स फार्म टेली एडवाइजर (एफटीए) के रूप में कार्य करेंगे। इन एडवाइजर्स के पास पशुपालन, मत्स्य पालन, कुक्कुट, मधुमक्खी पालन, बागवानी, रेशम उत्पादन, एग्रीकल्चर बिजनेस, जैव प्रौद्योगिकी, गृह विज्ञान और एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में स्नातक, पीजी और डॉक्टरेट की डिग्री होगी। यह एडवाइजर्स किसानों को विभिन्न विषयों में सलाह प्रदान करेंगे और उनकी समस्याओं का समाधान ढूंढने में मदद करेंगे।
किसान कॉल सेंटर की सुविधा हर रोज़ाना सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक उपलब्ध होगी। किसान इस सेंटर के माध्यम से अपनी समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकेंगे। यह सेवा केंद्रीय कृषि मंत्रालय के द्वारा 21 भाषाओं में प्रदान की जाएगी, ताकि किसान अपनी स्थानीय भाषा में जानकारी प्राप्त कर सकें। इस नए प्रयास के माध्यम से, कृषि मंत्रालय ने किसानों के खेती-किसानी से जुड़े सवालों के समाधान को आसान बनाने का प्रयास किया है, जो किसानों की खेती में उनकी साफलता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।