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औषधीय पौधों की खेती करने वाले किसान काली मिर्च की खेती में आजमा सकते हैं अपनी किस्मत

नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी के आने के बाद औषधीय गुणों से भरपूर खाद्य पदार्थों की मांग में काफी तेजी आई है। विशेष रूप से उन खाद्य सामग्रियों की मांग में जो हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और हमारे शरीर को विभिन्न बीमारियों से लड़ने के काबिल बनाते हैं। कई औषधीय गुणों से भरपूर ऐसी ही एक फसल है – काली मिर्च। आजकल इसकी काफी मांग है। यह मांग आगे भी बनी रहेगी, ऐसी उम्मीद है। जो किसान पहले से ही काली मिर्च की खेती कर रहे हैं, वो इस समय काफी अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। अगर आप भी किसी औषधीय फसल की खेती का विकल्प तलाश रहे हैं तो काली मिर्च की खेती कर आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। काली मिर्च के प्रत्येक पौधे से आपको लगभग 10 से 15 हजार रुपये की आमदनी हो सकती है। इसका बाज़ार भाव फिलहाल 400 से 500 रुपये प्रति किलो के बीच है।

काली मिर्च की खेती में घाटे की संभावना ना के बराबर है। आपके पास इसे विदेशों में निर्यात करने का भी विकल्प है। वैसे तो काली मिर्च के प्रमुख उत्पादक राज्य केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु हैं लेकिन महाराष्ट्र, कुर्ग, मलाबार, कोचीन, त्रावणकोर और असम के पहाड़ी इलाकों में भी काली मिर्च की खेती की जा रही है। आजकल छत्तीसगढ़ में भी काली मिर्च की बड़े पैमाने पर खेती की जा रही है।

काली मिर्च की खेती के लिए अधिक ठंडी जगह उपयुक्त नहीं होती है। इसके लिए 12 डिग्री से ऊपर का तापमान अच्छा होता है। इससे नीचे के तापमान में काली मिर्च की खेती संभव नहीं है। काली मिर्च की खेती के लिए सालाना 200 मिलीमीटर बारिश ज़रूरी है। वैसे तो काली मिर्च किसी भी प्रकार की मिट्टी में उगाई जा सकती है लेकिन इसकी अच्छी खेती के लिए लाल मिट्टी सर्वाधिक उपयुक्त मानी जाती है। अगर आप काली मिर्च की खेती करने जा रहे हैं तो यह ध्यान रखें कि इसका रोपण सितंबर महीने तक हर हाल में पूरा कर लिया जाए।

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