नई दिल्ली: आज के समय में प्रगतिशील किसान कृषि के जरिये अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए लगातार नए-नए तरीके ढूँढ रहे हैं। इसके लिए जिन उपायों की तरफ काफी किसानों का झुकाव हो रहा है, उन्हीं में से एक है – औषधीय फसलों की खेती। औषधीय फसलों की खेती के जरिये किसानों को काफी अच्छा मुनाफा मिल रहा है। लेकिन यह खेती जितनी लाभदायक है अगर कुछ सावधानियाँ न बरती जाएँ तो इसमें नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। इसलिए औषधीय फसलों की खेती के दौरान भावी नुकसान से बचने के लिए इन सावधानियाँ को ज़रूर अपनाएँ:
अगर आप किसी औषधीय फसल की खेती करने का मन बना रहे हैं तो सर्वप्रमुख रूप से फसल का चुनाव काफी सावधानी से करें।
किसी भी फसल का चुनाव करते समय अपने क्षेत्र की जलवायु का विश्लेषण करने के बाद ही करें। क्योंकि औषधीय फसलों की अच्छी पैदावार काफी हद तक अनुकूल जलवायु पर निर्भर करती है।
औषधीय फसलों की खेती में उत्पादन जितनी ही महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, उनकी बक्री। क्योंकि उत्पादन के सभी चरणों में पूरी सावधानी बरते हुए अगर आप अच्छी पैदावार प्राप्त कर भी लेते हैं और अगर उनकी बिक्री का आपके पास पुख्ता प्रबंध ना हो तो, हो सकता है कि आपकी सारी मेहनत और पूंजी बर्बाद हो जाए। क्योंकि कई औषधीय फसलों का जीवन काफी कम समय तक होता है। यदि आप उनका भंडारण भी करते हैं तो आपका खर्च और भी बढ़ जाएगा।
अगर आप औषधीय फसलों की खेती कांट्रैक्ट फार्मिंग के आधार पर शुरू करेंगे तो इसमें नुकसान होने होने की संभावना काफी कम हो जाएगी। इसलिए बेहतर होगा कि आप शुरू में छोटे स्तर पर कम पूंजी के साथ औषधीय फसलों की खेती शुरू करें।
बेहतर होगा कि आप किसी भी औषधीय फसल की खेती शुरू करने से पहले विषय विशेषज्ञों से राय ज़रूर लें। आप चाहें तो अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र या जिला बागवानी अधिकारी से भी सलाह ले सकते हैं।
औषधीय फसलों की खेती को केंद्र सरकार के साथ-साथ कई राज्य सरकारें भी प्रोत्साहित कर रही हैं। इसके लिए विभिन्न प्रकार के अनुदान की भी व्यवस्था की गई है। अगर आप सरकार से वित्तीय सहायता लेकर औषधीय फसलों की खेती शुरू करेंगे तो इससे आपकी लागत काफी कम हो जाएगी।
औषधीय फसलों की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए नैशनल मेडिसिनल प्लांट बोर्ड का गठन किया गया है। आपकी इसकी वैबसाइट पर जाकर भी समुचित मात्रा में जानकारियाँ हासिल कर सकते हैं।