केले की खेती किसानों के लिए फायदेमंद साबित होती है, लेकिन अक्टूबर-नवंबर के दौरान फलों में कई गंभीर रोगों का खतरा बढ़ जाता है। इनमें प्रमुख रूप से पीला सिगाटोका, काला सिगाटोका, और पनामा विल्ट जैसे फफूंद जनित रोग शामिल हैं। ये रोग फसल को नुकसान पहुंचाते हैं और उत्पादन पर बुरा प्रभाव डालते हैं, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है। इसी को ध्यान में रखते हुए बिहार कृषि विभाग ने इन रोगों से बचाव के लिए किसानों को उपयोगी उपाय सुझाए हैं, जिनकी मदद से फसल की रक्षा की जा सकती है।
रोगों के लक्षण:
- पीला सिगाटोका: इस रोग के कारण पत्तियों पर हल्के पीले धब्बे या धारियां उभरती हैं, जो बाद में भूरे रंग के हो जाते हैं। इससे उत्पादन पर सीधा असर पड़ता है।
- काला सिगाटोका: पत्तियों के निचले हिस्से पर काले धब्बे नजर आते हैं, जो बारिश के मौसम में फैलते हैं। इसका असर यह होता है कि फल समय से पहले पक जाते हैं।
- पनामा विल्ट: पौधे अचानक सूखने लगते हैं, पत्तियां पीली होकर मुरझा जाती हैं और तने सड़ जाते हैं।
बचाव के उपाय:
- सिगाटोका और पनामा विल्ट से बचने के लिए प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें और खेत को खरपतवार से मुक्त रखें। साथ ही, पानी की निकासी सुनिश्चित करें।
- काला सिगाटोका से बचाव के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का उपयोग करें।
- पनामा विल्ट से बचने के लिए कार्बेन्डाजिम के घोल का छिड़काव करें।
किसान अधिक जानकारी और सहायता के लिए किसान कॉल सेंटर या जिले के पौधा संरक्षण अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं।