नई दिल्ली: आज किसान कई एक समस्याओं से जूझ रहे हैं। बात चाहे मौसम की मार की हो या फिर सब कुछ सही रहने के बावजूद अंत में उनकी उपज की सही कीमत ना मिलने की। एक किसान के सामने आरंभ से अंत तक नकारात्मक परिस्थिति कभी भी और किसी भी समय प्रकट हो सकती है।
आज भी देश के अधिकांश किसान कृषि की विधिवत शिक्षा से वंचित हैं। इसलिए वे अपनी कृषिगत जरूरतों के लिए गुणवत्ता के मामले में भरोसे के आधार पर किसी विश्वसनीय जगह से खरीदारी करते हैं। इसके बावजूद उन्हें कभी नकली बीज, कभी नकली या मिलावटी कीटनाशक तो कभी नकली उर्वरक बेच दिया जाता है।
केंद्र सरकार ने किसानों को फिलहाल नकली बीजों की समस्या से निजात दिलाने की दिशा में एक सराहनीय प्रयास किया है। दरअसल, आने वाले दिसंबर महीने से प्रमाणित बीजों की बिक्री के लिए पैकेट अथवा बोरी पर 2डी बार कोड लगाना अनिवार्य हो जाएगा। इसके पीछे केंद्र सरकार का मकसद है नकली बीजों की बिक्री पर रोक लगाना। सूत्रों की मानें तो कृषि मंत्रालय के हवाले से यह ख़बर मिली है कि बीज निर्माता कंपनियों को 2डी बार कोड के जरिये पैकेट या बोरी पर बीज से जुड़ी पूरी जानकारी देनी होगी। यानी निर्माता कंपनी को 2डी बार कोड में उत्पादकों का पूरा विवरण देने के साथ ही, बीज उत्पादन स्थान का कोड, प्रोसेसिंग संयंत्र कोड की जानकारी देनी होगी। जबकि जीएम या बीटी कपास आदि मामले में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के अनुसार बीज उपचार और दूसरी अन्य जानकारियाँ अनिवार्य रूप से देनी होगी। यही नहीं, 2डी बार कोड को डिजिटल ढंग से यह सूचना देने के लिए केंद्रीय पोर्टल से भी जोड़ा जायेगा।
आपको बता दें कि बीज अधिनियम के तहत अधिसूचित बीज की किस्में ही प्रमाणीकरण के योग्य होती हैं। फिलहाल देश के 25 राज्यों में बीज प्रमाणीकरण एजेंसियां कार्य कर रही हैं। उन राज्यों में जहाँ बीज प्रमाणीकरण के लिए एजेंसियां नहीं हैं वहाँ स्वतंत्र बीज प्रमाणीकरण एजेंसी बनाने पर जोर दिया जा रहा है। हाँ, बीज प्रमाणीकरण एजेंसियों को केंद्रीय सहायता देकर सुदृढ़ करने की भी जरूरत है। ताकि किसान इन बीजों का उपयोग करने के लिए प्रेरित हो सकें।