नई दिल्ली: भारत बाजरा का एक प्रमुख उत्पादक देश है। यहाँ कुल बाजरा क्षेत्र का लगभग 95 प्रतिशत असिंचित है, इसलिए मानसून की अनिश्चितता की वजह से बाजरा की उत्पादकता में भी उतार-चढ़ाव होता रहता है। यदि बाजरा को प्रभावित करने वाले कुछ कीटों के प्रति सचेत न रहा जाए तो इसकी उत्पादकता और भी कम हो जाती है। इसलिए बाजरा की पैदावार बढ़ाने के लिए कीटों का प्रकोप बढ़ने से पहले नियंत्रण आवश्यक है।
बाजरा की फसल पर दीमक का काफी हमला होता है। इससे बचाव के लिए फसल की बुआई के समय खेत में कच्चे गोबर का प्रयोग नहीं करें। फसलों के अवशेषों को नष्ट कर दें। बुआई से पहले खेत में नीम की खली 10 कुन्तल प्रति हेक्टेयर की दर से मिलाने से दीमक के प्रकोप में कमी आती है। यदि इन उपायों से बाजरा की फसल से दीमक का प्रकोप कम न हो तो आप निर्देशानुसार यूवेरिया बैसियानाका भी छिड़काव कर सकते हैं। यह एक जैव कीटनाशी है।
बाजरा की फसल को नुकसान पहुंचाने वाला एक अन्य प्रमुख कीट है – सूत्रकृमि। इससे बचाव के लिए गर्मी में खेत की गहरी जुताई करें। इसके अलावा फसल की बुआई के समय विरलीकरण विधि द्वारा पौधे की निर्धारित दूरी भी सुनिश्चित करें। आप चाहें तो रासायनिक उपचार का भी सहारा ले सकते हैं। सूत्रकृमि पर नियंत्रण के लिए बाजरा की बुआई से एक सप्ताह पहले खेत में 10 किग्रा0 फोरेट-10 जी फैलाकर मिला दें। इससे फसल पर सूत्रकृमि के हमले की संभावना काफी कम हो जाएगी।
बाजरा की बढ़वार की अवस्था में यानी अगस्त मध्य से लेकर सितंबर के मध्य तक फसल पर प्ररोह मक्खी का आक्रमण होता है। इससे बचाव के लिए फसल की साप्ताहिक निगरानी करते रहें। साथ ही कीटों के प्राकृतिक शत्रुओं के संरक्षण पर भी ध्यान दें। इसके लिए शत्रु कीटों के अण्डों को इकट्ठा कर बम्बू केज-कम-परचर मे डालें। इससे काफी हद तक प्ररोह मक्खी का प्रकोप नियंत्रित हो जाएगा। जबकि रासायनिक उपचार के तौर पर आप फसल पर क्यूनालफास या ट्राएजोफास का भी छिड़काव कर सकते हैं।