नई दिल्ली: धनिया एक बहुउपयोगी मसाले वाली फसल है। यह आर्थिक दृष्टि से भी काफी लाभकारी फसल है। हमारा देश धनिया का एक प्रमुख निर्यातक देश है। किसानों के पास धनिया के निर्यात का भी विकल्प है। इससे उनको अच्छा मुनाफा होगा। धनिया के अच्छे उत्पादन के लिए शुष्क व ठंडा मौसम अनुकूल होता है। बीजों के अच्छे अंकुरण के लिए 25 से 26 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान अच्छा होता है। शीतोष्ण जलवायु की फसल होने के कारण धनिया को फूल एवं दाना बनने की अवस्था में पालारहित मौसम की आवश्यकता होती है। क्योंकि इस फसल को पाले से बहुत नुकसान होता है।
धनिया की सिंचित फसल के लिये अच्छे जल निकास वाली दोमट भूमि सबसे अधिक उपयुक्त होती है। जबकि असिंचित फसल के लिये काली भारी भूमि अच्छी होती है। इसके लिए मिट्टी का पी.एच. 6.5 से 7.5 होना चाहिए। सिंचित क्षेत्र में अगर जुताई के समय भूमि में पर्याप्त जल न हो तो भूमि की तैयारी पलेवा देकर करनी चाहिए। जिससे जमीन में जुताई के समय ढेले नहीं बनेगें तथा खरपतवार जुताई के समय नष्ट हो जाऐगे।
धनिया की अगर कुछ उन्नत किस्मों की बात की जाए तो हिसार सुगंध धनिया की एक अच्छी किस्म है। इसके पकने की अवधि 120-125 दिनों की होती है। जबकि आर सी आर 41 भी एक काफी अच्छी किस्म मानी जाती है। इसके पकने की अवधि 130-140 दिनों की होती है। इन किस्मों के अलावा कुंभराज किस्म 115-120 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है।
धनिया की फसल रबी मौसम में बोई जाती है। इसे बोने का सबसे उपयुक्त समय 15 अक्टूबर से 15 नवम्बर है। धनिया की सामयिक बोनी लाभदायक होती है। अगर आप दानों के लिये धनिया की बुआई करना चाहते हैं तो उपयुक्त समय नवम्बर का प्रथम सप्ताह है। जबकि हरे पत्तों की फसल के लिये अक्टूबर से दिसम्बर का समय अच्छा होता है। धनिया की बुआई के दौरान कुछ बातों का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए। जैसे – बीजों को बोने से पहले सावधानीपूर्वक हल्का रगड़कर दो भागो में तोड़ लेना चाहिए। साथ ही इनकी की बुआई सीड ड्रील से कतारों में करनी चाहिए।
धनिया की फसल की पहली सिंचाई 30-35 दिनों के बाद पत्ती बनने की अवस्था में, दूसरी सिंचाई 50-60 दिनों के बाद शाखा निकलने की अवस्था में, तीसरी सिंचाई 70-80 दिनों के बाद फूल आने की अवस्था में और चैथी सिंचाई 90-100 दिनों के बाद बीज बनने की अवस्था में करनी चाहिए।