पटना: बिहार में खेती को आधुनिक तकनीक से जोड़ने और छोटे किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में राज्य सरकार ने एक अहम कदम उठाया है। बिहार सरकार चतुर्थ कृषि रोडमैप के तहत प्रदेशभर में फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना कर रही है, जिससे लघु और सीमांत किसानों को खेती के लिए जरूरी आधुनिक कृषि यंत्र आसानी से उपलब्ध हो सकें। राज्य के उपमुख्यमंत्री और कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने इस योजना को लेकर जानकारी दी और कहा कि सरकार किसानों की आय में वृद्धि और खेती की उत्पादकता बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत है। मशीनरी बैंक की स्थापना इसी दिशा में एक बड़ा और महत्वपूर्ण प्रयास है।
अब तक 569 मशीनरी बैंक स्थापित
कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बताया कि अब तक राज्य में 569 फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना हो चुकी है। वहीं वित्तीय वर्ष 2025-26 में 38 नए फार्म मशीनरी बैंक खोलने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने बताया कि इन बैंकों से किसानों को जुताई, बुआई, रोपाई, कटाई और थ्रेसिंग जैसे सभी जरूरी कृषि कार्यों के लिए आधुनिक उपकरण सुलभ होंगे। मंत्री के मुताबिक, मशीनरी बैंक से किसानों को समय पर खेती करने में मदद मिलेगी और इससे उनकी उत्पादन क्षमता में भी बड़ा सुधार होगा। उन्होंने इसे किसानों की आत्मनिर्भरता की दिशा में नींव का पत्थर बताया।
10 लाख की लागत, 8 लाख तक अनुदान
मशीनरी बैंक की स्थापना के लिए सरकार ने प्रति यूनिट 10 लाख रुपये की लागत निर्धारित की है। इसमें से 8 लाख रुपये यानी 80% तक सरकार द्वारा अनुदान के रूप में दिए जा रहे हैं। इस योजना के तहत मशीनों का चयन स्थानीय फसल चक्र को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है। हर मशीनरी बैंक में कम से कम एक ट्रैक्टर चालित या स्वचालित यंत्र का होना अनिवार्य है।
किन्हें मिलेगा योजना का लाभ?
यह योजना खासतौर से संस्थागत समूहों के माध्यम से लागू की जा रही है, ताकि अधिक से अधिक किसान लाभान्वित हो सकें। इस योजना का लाभ जीविका समूह, ग्राम संगठन, क्लस्टर फेडरेशन, किसान क्लब, एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन), एफपीसी (किसान उत्पादक कंपनियां), स्वयं सहायता समूह और पैक्स को दिया जा रहा है। ये संस्थाएं सामूहिक रूप से यंत्रों का उपयोग करेंगी और क्षेत्रीय किसानों को किराए पर भी उपलब्ध कराएंगी।
लागत घटेगी, आमदनी बढ़ेगी
सरकार की यह पहल किसानों को नई तकनीकों से जोड़ने, खेती की लागत घटाने और उनकी आमदनी बढ़ाने की दिशा में बेहद कारगर मानी जा रही है। अब किसानों को निजी तौर पर महंगे यंत्र खरीदने की जरूरत नहीं होगी, जिससे आर्थिक बोझ भी कम होगा और खेती की कार्यक्षमता भी बढ़ेगी। बिहार सरकार की ‘फार्म मशीनरी बैंक’ योजना छोटे और सीमांत किसानों के लिए खेती को सरल और सुलभ बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है। अगर यह योजना प्रभावी ढंग से लागू होती है, तो यह राज्य की कृषि व्यवस्था में बड़ा बदलाव ला सकती है और किसानों के आर्थिक हालात को बेहतर बना सकती है।