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बिहार: मॉनसून की अनिश्चितता से किसान परेशान, धान की रोपाई हो रही है प्रभावित

पटना: बिहार के किसान इस समय बारिश का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं। सामान्य तौर पर 15 जून के बाद राज्य में मॉनसून सक्रिय हो जाता है। मौसम विज्ञान विभाग ने इस बार समय से पहले बिहार में मॉनसून के दस्तक देने की बात कही थी और ऐसा हुआ भी। लेकिन शुरुआती एक-दो बार की बारिश अबतक ऐसी बारिश नहीं हुई है, जिससे कि किसानों को कुछ खास फायदा हो। इतनी बारिश धान की खेती में किसानों को कोई विशेष लाभ नहीं देने वाली। खरीफ सीजन के दौरान बिहार के किसान बड़ी मात्रा में धान की खेती करते हैं। खरीफ फसलों की खेती करने वाले किसानों ने जून के महीने में हुई अच्छी वर्षा को देखते हुए अपनी तैयारी शुरू कर दी थी। उन्होंने नर्सरी भी लगा दी, लेकिन जून अंत से लेकर जुलाई में अभी तक अच्छी बारिश नहीं हुई है। इस स्थिति से प्रदेश भर के किसान काफी आशंकित नज़र आ रहे हैं।

अगर किसानों को पर्याप्त बारिश के अभाव में ट्यूबवेल से सिंचाई कर धान की रोपाई करनी पड़ी तो यह सभी किसानों के लिए काफी महंगा साबित होगा। क्योंकि ऐसी स्थिति में लागत काफी बढ़ जाएगी। जैसा कि हम सब जानते हैं कि खरीफ की मुख्य फसल धान है। इस फसल की नर्सरी किसान पहले ही तैयार कर लेते हैं। किसानों को पूरा विश्वास था कि जुलाई में मॉनसून पूरी तरह से सक्रिय हो जाएगा। लेकिन अभी तक बारिश नहीं होने से किसान धान की रोपाई नहीं कर पाए हैं। नर्सरी में पौध को सुरक्षित रखने के लिए लगातार सिंचाई करनी पड़ रही है। वहीं देरी को देखते हुए कुछ किसानों ने ट्यूबवेल से खेतों में पानी चलाकर धान की रोपाई की है। रोपाई कर देने वाले किसान भी परेशान हैं। क्योंकि उन्हें लगातार सिंचाई की जरूरत पड़ रही है और लागत बढ़ती जा रही है। सिंचाई नहीं करने पर धान की फसल का अच्छे से विकास नहीं हो पा रहा है।

उन किसानों के सामने एक और चुनौती आ गई है, जिन्होंने पहले ही धान की नर्सरी डाल दी थी। अब वे रोपाई के लिए तैयार हो गई है। जबकि 25 दिन से पुरानी नर्सरी के बिचड़े से रोपाई करने से कल्ले कम निकलते हैं। इससे प्रति इकाई क्षेत्र में पौधों की संख्या घट जाती है और इससे उपज में भारी कमी आती है। इस स्थिति को देखते हुए बेहतर होगा कि किसान बारिश के सक्रिय होने का इंतजार करें। किसानों को यह भी ध्यान रखना होगा कि वो किसी भी परिस्थिति में 35 दिन से ज्यादा पुराने बिचड़े से धान की रोपाई न करें। अगर बिचड़े 35 दिन से अधिक पुराने हैं तो बेहतर होगा कि वो धन की सीधी बीजाई कर दें।

बारिश नहीं होने की परिस्थिति में किसान दलहनी फसलों को भी लगा सकते हैं। अरहर, उड़द और मूंग की खेती में भी काफी अच्छा मुनाफा है। लेकिन इन फसलों को उसी जगह लगाने की सलाह दी जाती है, जहां जल निकास बहुत ही अच्छा हो। इसके अलावा अच्छे मॉनसून के अभाव में मक्का एवं तिल की भी खेती की जा सकती है। आजकल किसानों को मोटे अनाज से भी अच्छा फायदा हो रहा है तो मॉनसून की वर्तमान दशा को देखते हुए मोटे अनाज के विकल्पों पर भी विचार किया जा सकता है।

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