कृषि पिटारा

बिहार: बीज की किल्लत की समस्या से किसानों को जल्द मिलेगा छुटकारा

पटना: बिहार राज्य बीज निगम के एक कदम से राज्य के किसानों को काफी फायदा होने वाला है। दरअसल, राज्य बीज निगम ने वर्ष 2022-23 के दौरान लगभग तीन लाख क्विंटल बीज तैयार करने का फैसला किया है। ताकि किसानों को बीज की कमी की समस्या का सामना न करना पड़े। बिहार के कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने बिहार राज्य बीज निगम की स्थापना दिवस के मौके पर कहा कि, “कई उतार-चढ़ाव के बाद विगत वर्षों में बिहार राज्य बीज निगम के बीज उत्पादन, प्रसंस्करण एवं मार्केटिंग क्षमता में वृद्धि हुई है। निगम द्वारा विगत वर्षों में कई उपलब्धियां हासिल की गई हैं, जिसमें बीज की गुणवत्ता का आईएसओ प्रमाणीकरण प्रमाण पत्र प्राप्त करना एवं बीज की होम डिलिवरी सेवा विशेष रूप से उल्लेखनीय है। एक नया प्रोसेसिंग प्लांट भी तैयार हो रहा है।”

उन्होंने यह भी कहा कि, “निगम ज्यादा-से-ज्यादा किसानों को बीज उत्पादन से जोड़ने की योजना पर काम कर रहा है। अब तक 2,833 किसान निगम से बीज उत्पादन के लिए रजिस्टर्ड हो चुके हैं। किसानों से खरीदे गए बीजों के पैसे का समय पर भुगतान तय करने के लिए बीजों के ऑनलाईन ऐप के माध्यम से सत्यापन एवं राशि किसानों के बैंक खाते में सीधे भुगतान की केन्द्रीयकृत व्यवस्था की गई है। निगम द्वारा बीज प्रतिस्पर्धा को देखते हुए बीज मार्केटिेग को मजबूत करने हेतु बीजों के पैकिंग में सुधार के साथ छोटे बैग साईज में बीज मार्केटिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है। विभागीय योजनाओं के अतिरिक्त खुले बाजार में बीज बिक्री की शुरुआत खरीफ 2022 से की गई है। इसे और विस्तारित करने की आवश्यकता है, ताकि राज्य की जलवायु परिवेश में उत्पादित बीज का ज्यादा-से-ज्यादा उपयोग राज्य के किसान कर सकें।”

गौरतलब है कि खरीफ 2022 के दौरान अबतक 96,179 किसानों के यहां 18,493 क्विंटल बीज की होम डिलीवरी की गई है। निगम द्वारा उत्पादित बीजों की मार्केटिंग चैनल को प्रखण्ड स्तर तक मजबूत करने की व्यवस्था के तहत् आवेदन प्राप्त करने एवं निष्पादन की ऑनलाईन पारदर्शी प्रक्रिया शुरू की गई है। जिसके परिणामस्वरूप निगम के अधिकृत बीज विक्रेता की संख्या 550 तक पहुंच चुकी है। अब तक ऐसा देखने को मिल रहा था कि प्रदेश के किसान असली बीज न मिलने से परेशान रहते थे। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि राज्य सरकार के इन प्रयासों से बीजों की किल्लत व उनकी कालाबाजारी की समस्या काफी हद तक खत्म हो जाएगी। यही नहीं, इससे उत्पादन और उत्पादकता में भी वृद्धि देखने को मिलेगी।

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