पटना : बिहार सरकार जैविक खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहित करने का प्रयास कर रही है. उम्मीद है कि आने वाले समय में राज्य के किसानों को रसायनिक खेती के बजाय जैविक खेती को तरजीह देने के लिए उत्साह मिलेगा. गुरुवार को सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र स्थित बापू सभागार में 47वीं राष्ट्रीय नेशनल डेयरी इंडस्ट्री कांफ्रेंस के उद्घाटन के मौके पर मुख्यमंत्री ने नीतीश कुमार इस संबंध में कुछ घोषणाओं के साथ अपने विचार व्यक्त किये. उन्होंने कहा कि, “आर्गेनिक खेती के विस्तार से वर्मी कंपोस्ट और बायो पेस्टीसाइड की जरूरत होगी. गोबर और गोमूत्र से किसानों की आमदनी दोगुनी हो जाएगी.” मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि – “सरकार का लक्ष्य डेयरी क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर बिहार को शीर्ष तीन राज्यों में स्थान दिलाना है.”
कार्यक्रम में बोलते हुए नीतीश कुमार ने किसानों को मिलने वाली इनपुट सब्सिडी की राशि में दो हजार रुपए की बढ़ोतरी का ऐलान किया. बताते चलें कि अभी सरकार द्वारा तीस डिसिमल जमीन पर छह हजार रुपए सब्सिडी दी जाती थी. इसे बढ़ाकर अब आठ हजार रुपये किया जाएगा.
नीतीश कुमार ने प्रदेश के डेयरी सेक्टर में हुए विकास को भी रेखांकित किया. उन्होंने बताया कि, बिहार के डेयरी सेक्टर का तीव्र विकास हुआ है. वर्ष 2005 में जहां कांफेड रोज 4 लाख लीटर दूध आपूर्ति करता था वहीं दिसंबर 2018 में यह आँकड़ा बढ़कर 20.46 लाख लीटर प्रतिदिन हो गया है.
मुख्यमंत्री ने आमदनी बढ़ाने के लिए किसानों को इनोवेटिव कोशिशों पर जोर देने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि गोबर के साथ-साथ गोमूत्र का इस्तेमाल करने से एक ओर जहाँ पर्यावरण संरक्षित होगा वहीं दूसरी ओर, इससे उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी. उन्होंने यह भी कहा कि, आय बढ़ाने के लिए जब तक पशुपालन को जरिया नहीं बनाएंगे तब तक आमदनी नहीं बढ़ेगी.
मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इंडियन डेयरी एसोसिएशन को प्रदेश में संगठन के पूर्वी क्षेत्र का मुख्यालय स्थापित करने प्रस्ताव भी दिया. कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी भी मौजूद थे.