पटना: बिहार के उन शिक्षकों को राहत मिलती नहीं दिख रही है जो अपनी मांगों को लेकर फरवरी महीने से हड़ताल पर हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिक्षकों को जनवरी और फरवरी महीने का वेतन देने का आदेश दे तो दिया है मगर, फरवरी का वेतन केवल उन शिक्षकों को ही मिलेगा तो हड़ताल पर नहीं हैं। सरकार के इस आदेश के संबंध में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव आर.के. महाजन ने सभी डीईओ और डीपीओ को अवगत करा दिया है।
इस आदेश से निश्चित रूप से हड़ताली शिक्षकों को एक बहुत बड़ा झटका लगेगा। क्योंकि सरकार के पिछले आदेश के अनुसार हड़ताल में शामिल होने के बावजूद भी कक्षा एक से बारहवीं तक के सभी प्रकार के शिक्षकों को जनवरी महीने का वेतन दिया गया था। ऐसे में एक उम्मीद बन रही थी कि सरकार हड़ताली शिक्षकों के बारे में शायद कोई सकारात्मक फैसला लेगी। मगर अब यह स्पष्ट हो गया है कि फरवरी महीने का वेतन केवल उन्हींं शिक्षकों को दिया जाएगा, जो हड़ताल पर नहीं गए और जिन्होंरने परीक्षा से लेकर मूल्यांकन तक के काम में सहयोग किया था।
सरकार के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के अध्यक्ष ब्रजनंदन शर्मा ने कहा है कि, “सरकार शिक्षकों को जानबूझ कर परेशान कर रही है। सभी शिक्षक इन दिनों कोरोना संक्रमण के चलते राज्य भर में जागरूकता अभियान में जुटे हैं। सरकार को कोरोना संकट के दिनों में शिक्षकों के वेतन में कटौती नहीं करनी चाहिए। यदि सरकार हड़ताल अवधि के वेतन की कटौती नहीं करती है तो सभी शिक्षक अपने एक दिन का वेतन कोरोना संक्रमण से लड़ाई के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा करेंगे।”

इस पूरे घटनाक्रम के बारे में आपको बता दें कि बिहार के करीब चार लाख नियोजित शिक्षक समान काम के लिए समान वेतन की मांग को ले कर करीब 42 दिनों से हड़ताल पर हैं। न केवल नियोजित शिक्षक बल्कि नियमित शिक्षकों का एक बड़ा वर्ग भी इन दिनों हड़ताल पर है।