पटना: बिहार सरकार इस वर्ष राज्य भर में जीविका दीदियों की 1500 नर्सरी खोलने की योजना पर काम कर रही है। सरकार का मानना है कि इससे पौधरोपण के लिए अन्य राज्यों से पौधे खरीदने की आवश्यकता नहीं रह जाएगी। पौधरोपण के मामले में बिहार पूरी तरह से आत्मनिर्भर बन जाएगा।
योजना के पहले चरण में सभी प्रखंडों में नर्सरी खोलने की शुरुआत की जाएगी। प्रत्येक नर्सरी में कम से कम 20,000 पौधे तैयार किए जाएंगे। जब पौधे तैयार हो जाएंगे तो इन पौधों की बिक्री की भी व्यवस्था की जाएगी। इन पौधों की खरीदारी सरकार और वन एवं पर्यावरण विभाग द्वारा सुनिश्चित की जाएगी।
खास बात यह है कि पौधे खरीदकर सीधे जीविका दीदियों के बैंक खातों में पैसा भेजा जाएगा। सभी नर्सरी का नाम ‘दीदी की नर्सरी’ होगा। सरकार का मानना है कि इन नर्सरियों के जरिये से ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनने का मौका मिलेगा।
राज्य सरकार इस बात पर जोर दे रही है कि पौधरोपण के लिए पौधों की खरीद अन्य राज्यों के बजाय राज्य के अंदर यानी जीविका दीदीयों की नर्सरी से ही हो। फिलहाल राज्य में 198 नर्सरियों का संचालन जीविका दीदियों के द्वारा किया जा रहा है। इन सभी नर्सरियों से वन एवं पर्यावरण विभाग इस वर्ष 20,000 पौधे खरीद रहा है।
यही नहीं, जीविका दीदियों को 88,000 पौधे खरीदने के लिए राशि का भुगतान एडवांस के तौर पर कर दिया गया है। जीविका दीदियों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए ग्रामीण विकास विभाग पूरी गंभीरता से प्रयास कर रहा है। इसके तहत सरकार यह गारंटी ले रही है कि जीविका दीदियों की नर्सरी से कम से कम बीस हज़ार पौधों की खरीद सुनिश्चित हो सके। इससे प्रदेश में गरीबी दूर करने में भी मदद मिलेगी। क्योंकि इन नर्सरियों के जरिये कम से कम 7 से 10 लोगों को रोजगार मिलेगा।
बता दें कि जीविका प्रबंधन ने नर्सरी खोलने के लिए कुछ शर्तें भी तय की हैं। इन शर्तों के अनुसार चयनित अभ्यर्थी के पास कम से कम आधा एकड़ जमीन होनी चाहिए। यह जमीन गाँव के अंदर भी हो सकती है। लेकिन उस जमीन का जुड़ाव किसी न किसी सड़क से ज़रूर होना चाहिए, ताकि वहाँ पौधों की ढुलाई एवं आपूर्ति में किसी प्रकार की कोई बाधा नहीं उत्पन्न हो।