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बिहार: कृषि विभाग कर रहा है राज्य वापस लौटे लोगों को रोजगार देने की तैयारी

पटना: बिहार सरकार कोरोना संकट के दौरान राज्य में वापस लौटे लोगों को रोजगार मुहैया कराने का प्रयास कर रही है। इसके लिए विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों की तलाश की जा रही है। इस दिशा में आगे बढ़ते हुए कृषि विभाग ने बिहार लौटे प्रवासियों को रोजगार या स्वरोजगार से जोड़ने की पहल की है। विभाग ने वापस लौटे लोगों की स्किल मैपिंग शुरू कर दी है। कृषि व पशुपालन मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने लोगों को तत्काल रोजगार मुहैया कराने वाले प्रस्ताव को जल्द से जल्द तैयार करने का निर्देश दिया है। डॉ. प्रेम कुमार ने विभाग से ऐसा प्रस्ताव मांगा है, जिसके जरिये कृषि व इससे जुड़े क्षेत्रों में तत्काल रोजगार की शुरुआत हो सके। पशुपालन में गाय-भैंस व बकरी पालने का व्यवसाय ऐसा है, जिसके जरिये तुरंत आमदनी शुरू हो जाती है। इसके लिए इच्छुक लोगों से जल्द ही आवेदन मांगे जाएंगे।

बताया जा रहा है कि, कृषि विभाग लगभग तीन लाख लोगों को रोजगार से जोड़ने की तैयारी में है। भविष्य में रोजगार के और भी अवसर तलाशे जाएंगे और इन्हें पाँच ताख तक बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा। सरकार के मुताबिक लॉकडाउन के बाद घर लौटे लोगों के लिए कृषि, पशुपालन व उससे जुड़े दूसरे क्षेत्रों में विभागीय स्तर पर काम के विभिन्न अवसरों की तलाश की जा रही है। काम-धंधा बंद हो जाने के कारण जो लोग राज्य में वापस लौटे हैं उनमें कुशल, अकुशल, शिक्षित और अशिक्षित सभी प्रकार के लोग हैं। इन्हें रोजगार देने के लिए कृषि से जुड़े विभिन्न अवसरों पर विचार किया जा रहा है, मसलन – मशरूम उत्पादन, मधुमक्खी व मत्स्य पालन, बाग लगाने, पुराने बागों की हिफाजत करने से लेकर जैविक खेती आदि। ये वो क्षेत्र हैं, जहाँ पहले से ही रोजगार के अवसर मौजूद हैं। प्रवासियों को खाद, बीज और दूध के कारोबार से भी जोड़ने पर विचार किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त जो लोग स्वरोजगार शुरू करना चाहते हैं उन्हें भी कृषि विभाग भरपूर प्रोत्साहन देगा।

कृषि विभाग राज्य में रोजगार के पाँच लाख अस्थाई अवसर सृजित करने की तैयारी कर रहा है। विभाग के अनुसार मखाना, शहद व औषधीय पौधे की खेती में स्थायी व अस्थायी दोनों ही प्रकार के रोजगार उपलब्ध हैं। इन क्षेत्रों में तत्काल डेढ़ महीने तक डेढ़ लाख परिवारों को रोजगार दिया जा सकता है। इसके अलावा राज्य में फिलहाल आम, लीची और अमरूद आदि के पाँच लाख फलदार पौधे लगाने हैं। इस काम में अगले एक महीने के लिए डेढ़ लाख मानव दिवस का सृजन होगा। यही नहीं, पुराने बागों के जीर्णोद्धार, कटनी-छंटनी व दवा के छिड़काव में सवा लाख मानव दिवस सृजित होंगे। इन सबको मिलाकर रोजगार के लगभग पाँच लाख अस्थाई अवसर संभव हैं। इस दिशा में तमाम ज़रूरी प्रयास किए जा रहे हैं। उम्मीद है कि इससे जुड़े प्रस्ताव को स्वीकृति मिलते ही रोजगार देने का काम जल्द शुरू हो सकेगा।

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