नई दिल्ली: बिहार में धान की सरकारी खरीद की तैयारी शुरू हो चुकी है। केंद्र सरकार के निर्देश के अनुसार धान की खरीद 1 नवंबर से 31 जनवरी तक की जाएगी। इसके लिए विशेष अभियान चलाकर किसान सलाहकार किसानों से संपर्क करेंगे ताकि धान बेचने वाले किसानों की वास्तविकता का पता लगाया सके। साथ ही जो किसान सौ क्विंटल से अधिक धान की बिक्री करने वाले हैं उनकी भी सूची तैयार कराई जाएगी। धान की बिक्री के लिए किसानों को कृषि विभाग के पोर्टल पर स्वयं को पंजीकृत करना होगा। पंजीकरण के बाद ही किसान धान की बिक्री कर पाएंगे।
ऐसा माना जा रहा है कि धान की खरीद के लिए तय समयावधि से किसानों की परेशानी बढ़ेने वाली है। क्योंकि जब किसानों की फसल तैयार होगी तब तक खरीद बंद हो चुकी होगी। ऐसे में यह संभावना जताई जा रही है कि काफी किसान धान की बिक्री करने से वंचित रह जाएंगे और बिचौलियों के फंदे में फंसना उनकी मजबूरी होगी। क्योंकि प्रदेश के बड़े हिस्से में धान की कटाई दिसंबर महीने से शुरू होती है। जनवरी तक धान में नमी ज्यादा रहती है। इसके बाद खरीद ज्यादा होती है। गौरतलब है कि पिछले साल धान की जितनी खरीद हुई उसका दो तिहाई से ज्यादा जनवरी के बाद क्रय केंद्रों पर पहुंचा था। पिछले साल धान खरीद का लक्ष्य 45 लाख मीट्रिक टन तय था, लेकिन जनवरी तक लगभग नौ लाख मीट्रिक टन ही खरीद हो पाई थी।
बता दें कि सरकार 17 प्रतिशत नमी तक धान की खरीद करती है। ऐसे में हर साल जनवरी के बाद ही खरीद अधिक होती है। उस समय तक धान से नमी कम हो जाती है। जबकि इस बार बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में धान की रोपनी में वैसे ही देरी हुई है। इन वजहों से इस बार इस बात की प्रबल संभावना बन रही है कि किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अपना धान बेचना कठिन होगा। हालाँकि किसान बिचौलियों के चंगुल में ना फँसें इसके लिए खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण एवं सहकारिता विभाग उनपर शिकंजा कसने की तैयारी कर रहा है। इसके तहत् मिलीभगत करने वाले पैक्सों और व्यापार मंडलों पर प्राथमिकी दर्ज कर उनपर यथोचित कानूनी कारवाई की जाएगी।