पटना: बिहार सरकार ने किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए कड़ा रुख अपना लिया है। इसके तहत् उन किसानों पर कड़ी कारवाई की जा रही है जो सरकारी आदेश की अवहेलना कर पराली जलाते हुए पाए जा रहे हैं। किसानों पर नज़र रखने के लिए सरकार सैटेलाइट का सहारा ले रही है। इस दौरान पराली जलाते हुए पाए जा रहे किसानों पर अगले तीन वर्षों तक कृषि संबंधी किसी भी सरकारी योजना का लाभ लेने पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है। दूसरी ओर किसानों को पराली न जलाने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु उन्हें मुफ्त में उर्वरक देने की योजना पर भी सरकार काम कर रही है। आने वाले समय में किसानों को एक ऐसा उर्वरक दिया जाएगा जो पराली से बना होगा। कृषि विभाग ने इस संबंध में बताया है कि यह उर्वरक धान के पुआल को उच्च तापमान पर जलाकर बनाया जाएगा। इससे किसानों को कई प्रकार से लाभ होंगे। एक ओर जहाँ इससे वायु प्रदूषण की समस्या में कमी आएगी वहीं, भूमि की सेहत भी बनी रहेगी। साथ ही इसके एक अन्य प्रमुख फायदे के तौर पर किसानों को पराली से निर्मित उर्वरक मुफ्त में मिल सकेगा।
ऐसा बताया जा रहा है कि इस योजना की शुरुआत शाहाबाद (आरा, बक्सर, रोहतास और कैमूर) से की जा सकती है। इसके तहत् शाहाबाद के किसान विज्ञान केंद्रों में भट्ठी की खरीद की जाएगी। इस विशेष प्रकार की भट्ठी में कार्बन को ठोस रूप से अवशोषित किया जाता है। अगर पराली प्रबंधन की यह योजना इन जिलों में सफल रही तो इसका विस्तार दूसरे जिलों में भी किया जाएगा।
गौरतलब है कि कृषिगत लागत में एक बहुत बड़ा हिस्सा उर्वरकों पर आने वाले खर्चे का होता है। ऐसे में, बिहार सरकार की इस पहल के तहत् किसानों को जो उर्वरक दिया जाएगा, उससे किसानों के खर्चे में काफी कमी आएगी। जबकि, पराली प्रबंधन की दिशा में भी यह पहल काफी महत्वपूर्ण साबित होगी। किसानों द्वारा धान की कटाई के बाद खेतों में फसल के अवशेषों को जलाना हाल के वर्षों में एक बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है। विशेष रूप से दिल्ली-एनसीआर में हर साल इससे उत्पन्न स्थिति बहुत विकट रूप ले लेती है। पराली जलाने की वजह से सर्दी के मौसम में यहाँ प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है। वैसे कोर्ट के सख्त रवैये के बाद कई प्रदेशों में पराली जलाने पर रोक लगा दी गई है, इसके बावजूद भी काफी किसान इससे बाज नहीं आ रहे हैं।