कृषि पिटारा

हरियाणा में गेहूं की बंपर पैदावार, लेकिन किसानों ने MSP बढ़ोतरी की उठाई मांग

करनाल: देशभर में रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं की कटाई जोरों पर है। खासकर हरियाणा में इस बार गेहूं की रिकॉर्ड पैदावार ने किसानों के चेहरे खिला दिए हैं। राज्य के कई किसानों ने इस साल प्रति एकड़ 24 से 29 क्विंटल गेहूं उपजने की जानकारी दी है, जो कि पिछले साल के 18 से 22 क्विंटल प्रति एकड़ के औसत उत्पादन से कहीं अधिक है। हालांकि, फसल की अच्छी पैदावार के बावजूद किसानों ने खेती की बढ़ती लागत को लेकर चिंता जताई है और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में तत्काल बढ़ोतरी की मांग की है।

उत्पादन में ऐतिहासिक बढ़ोतरी

हरियाणा के किसानों ने बताया कि भले ही इस बार फसल की शुरुआत में मौसम ने प्रतिकूल रूप लिया था, लेकिन बाद के महीनों में हालात बेहतर हो गए। किसानों की माने तो जलवायु में हल्का उतार-चढ़ाव तो रहा, लेकिन इसके बावजूद गेहूं की उपज बेहतर रही।

MSP में बढ़ोतरी की मांग

उपज में वृद्धि से जहां किसानों को संतोष है, वहीं लागत को लेकर वे चिंतित हैं। एक किसान ने कहा, “आज के समय में अगर कोई किसान जमीन पट्टे पर लेकर खेती करता है, तो 60,000 से 70,000 रुपये प्रति एकड़ किराया, और 10,000 से 15,000 रुपये इनपुट लागत जोड़ने पर कुल खर्च काफी बढ़ जाता है। MSP वर्तमान में ₹2,425 प्रति क्विंटल है, जो इस लागत के अनुरूप नहीं है।” किसानों ने भी यह मांग उठाई कि सरकार को एमएसपी में ऐसी वास्तविक जमीनी लागत को ध्यान में रखते हुए समायोजन करना चाहिए। उनका कहना है कि जब लागत निरंतर बढ़ रही है, तो मुनाफा भी उसी के अनुरूप मिलना चाहिए।

सरकारी आंकड़े भी पैदावार बढ़ने की पुष्टि करते हैं

हरियाणा कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अनुसार, फसल कटाई प्रयोग (CCE) के शुरुआती आंकड़े भी किसानों के दावों की पुष्टि करते हैं। विभाग ने बताया कि औसतन 24 क्विंटल प्रति एकड़ उपज देखी जा रही है, जो कि पिछले साल के 23 क्विंटल औसत से एक क्विंटल अधिक है।

देश में भी गेहूं उत्पादन लक्ष्य के पार जाने की उम्मीद

करनाल स्थित भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान (IIWBR) के विशेषज्ञों का कहना है कि इस वर्ष भारत गेहूं उत्पादन का 115.4 मिलियन टन का लक्ष्य पार कर सकता है। संस्थान के निदेशक डॉ. रतन तिवारी ने कहा, “पिछले साल 113.29 मिलियन टन उत्पादन हुआ था। इस साल फसल की स्थिति और रुझान को देखते हुए हम इस बार लक्ष्य से अधिक उत्पादन की उम्मीद कर रहे हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि फरवरी और मार्च में तापमान सामान्य से थोड़ा ऊपर-नीचे जरूर गया, लेकिन किसानों द्वारा जलवायु-अनुकूल गेहूं की किस्मों को अपनाने के चलते फसल पर इसका कोई बड़ा नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा।

बढ़ी उपज के साथ बढ़नी चाहिए किसान की आय

इस बार की गेहूं फसल ने किसानों को बेहतर उपज दी है, लेकिन खेती की बढ़ती लागत एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। किसानों का साफ संदेश है — अगर पैदावार बढ़ रही है तो MSP भी उसी अनुपात में बढ़नी चाहिए, ताकि किसान को उसकी मेहनत का समुचित लाभ मिल सके। सरकार से किसानों की अपील है कि वे MSP निर्धारण में जमीनी लागत और आर्थिक वास्तविकताओं को शामिल करें, जिससे खेती लाभ का सौदा बन सके और देश की खाद्य सुरक्षा मजबूत बनी रहे।

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