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केंद्र सरकार ने दी पाम ऑयल मिशन को मंजूरी, अगले कुछ वर्षों में घटेगी खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता

नई दिल्ली: भारत सरकार ने खाद्य तेल के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए एक महत्वपूर्ण पहल की है। सरकार ने बुधवार को ‘नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल्स-ऑयल पाम’ को लागू करने की स्वीकृति दे दी। सरकार के हवाले से यह जानकारी केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दी है। पत्रकारों से बात करते हुए कृषि मंत्री ने इसे सरकार की एक बहुत बड़ी उपलब्धि के तौर पर रेखांकित किया। उन्होने कहा कि, “इस योजना के तहत पाम ऑयल की नर्सरी लगाने के लिए किसानों को आर्थिक सहायता दी जाएगी। पूर्वाोत्तर के राज्यों को छोड़कर देश के अन्य हिस्सों में 15 हेक्टेयर तक की नर्सरी के लिए 80 लाख रुपए देने की योजना है। वहीं अगर पूर्वोत्तर भारत के किसान 15 हेक्टेयर में नर्सरी लगाते हैं तो उन्हें 1 करोड़ रुपए की सहायता दी जाएगी।”

नरेंद्र सिंह तोमर ने यह भी कहा कि, “हम बीते 7 सालों से लगातार कोशिश कर रहे हैं कि भारत में खाद्य तेल का उत्पादन बढ़े और हमारी निर्भरता आयात पर से कम हो सके। इसके लिए केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिल कर काम कर रही है और उसके परिणाम भी सामने आ रहे हैं। रबी सीजन के समय हमने अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों को लोगों के बीच वितरित किया, जिससे उत्पादन और रकबे में बढ़ोतरी हुई है। लेकिन अभी भी हमें अपनी आपूर्ति के लिए तेल आयात करना पड़ता है। इसमें बड़ा हिस्सा पाम ऑयल का है। कुल तेल आयात का 56 प्रतिशत पाम ऑयल है।”

फिलहाल देशभर में 3.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में पाम ऑयल की खेती हो रही है। आगे चलकर इसका विस्तार 10 लाख हेक्टेयर तक होने की उम्मीद है। सरकार यह अनुमान लगा रही है कि 2029-30 तक पाम ऑयल का उत्पादन 28 लाख टन तक पहुँच जाएगा।

हालाँकि, छोटे किसानों के लिए पाम ऑयल की खेती थोड़ी कठिन मानी जाती है, क्योंकि इस फसल को लगाने के लगभग 7 साल बाद पूरी तरह से पैदावार मिलनी शुरू होती है। साथ ही पाम ऑयल के भाव में भी अक्सर उतार-चढ़ाव होता रहता है। इस वजह से आमतौर पर छोटे किसान इसकी खेती करने से परहेज करते हैं। कीमत में उतार-चढ़ाव की वजह से किसानों को नुकसान न हो इसलिए इस फसल को भी एमएसपी के दायरे में रखा गया है। भाव गिरने की स्थिति में केंद्र सरकार डीबीटी के माध्यम से किसानों के खाते में सीधे पैसा भेजती है।

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