कृषि पिटारा

क्या हट सकता है चावल निर्यात पर लगा बैन?

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने हाल ही में गैर-बासमती चावल के निर्यात पर बैन लगा दिया था। माना जा रहा है कि इसके पीछे मकसद चावल की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करना था। हालांकि, क्या यही एकमात्र वजह है चावल के निर्यात पर बैन लगाने की? क्या सरकार इस बैन को वापस लेगी? इन सवालों के चारों ओर बहस चल रही है। नीति आयोग के सदस्य और कृषि अर्थशास्त्री रमेश चंद ने इस बारे में कई संकेत दिए हैं।

भारत दुनिया में 40 प्रतिशत चावल एक्सपोर्ट करता है। इसलिए जब भारत ने चावल के एक्सपोर्ट पर बैन लगाया, तो दुबई से लेकर अन्य खाड़ी देशों में चावल की कीमतों में बढ़ोतरी दर्ज की गई। अमेरिका जैसे देशों में भी चावल की मांग के कारण लंबी-लंबी कतारें देखी गईं। भारत 140 से अधिक देशों को चावल एक्सपोर्ट करता है। नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने बताया कि इस साल भी भारत 2 करोड़ टन से अधिक चावल का एक्सपोर्ट करेगा, जिससे देश की फूड सिक्योरिटी पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने बताया कि गैर-बासमती सफेद चावल के एक्सपोर्ट पर बैन लगाने की वजह वैश्विक बाजार में चावल की मांग का अधिक हो जाना है। अगर सरकार इस बैन को नहीं हटाती, तो देश से 3 करोड़ टन से अधिक चावल का एक्सपोर्ट हो सकता है।

चावल पर बैन की एक अन्य वजह अल-निनो वार्षिक मानसून की अनिश्चितता भी है, जिसके कारण फसल की बुवाई और प्राथमिक उपार्जन में देरी हो सकती है। इसके अलावा, बाढ़ के कारण कई इलाकों में धान की फसल के बर्बाद होने की संभावना भी है। इन सब तत्वों के परिणामस्वरूप, सरकार ने सावधानीपूर्वक बैन लगाने का निर्णय लिया है। रमेश चंद ने इंटरव्यू में कहा कि सरकार चावल के एक्सपोर्ट पर बैन हटा सकती है, लेकिन यह विश्वास भी है कि बैन की हटाने का निर्णय अंतरराष्ट्रीय बाजार में चावल की मांग के परिणामस्वरूप लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार आगे के फैसले फसल की स्थिति के आधार पर लेगी और उसके बाद बैन की स्थिति का पुनरावलोकन करेगी।

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