कृषि पिटारा

आने वाले महीने में पंजाब व हरियाणा में बढ़ सकते हैं पराली जलाने के मामले, सरकारें तैयार

नई दिल्ली: धान की कटाई का समय आ गया है। कुछ किसान धान की कटाई कर रहे हैं और कुछ आने वाले दिनों में कटाई करने वाले हैं। ऐसे में पराली अब चिंता का कारण बनती जा रही है। कुछ समय पहले तक किसान खेतों में पराली जला रहे थे, लेकिन अब इस पर सरकार ने रोक लगा दी है। दरअसल, पराली के कारण प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ जाता है, जिसका असर इंसान की सेहत पर सबसे ज्यादा देखने को मिलता है। इसके बावजूद, पंजाब और हरियाणा के कुछ क्षेत्रों में अब भी पराली जलाने के मामले सामने आ रहे हैं।

पंजाब में 15 से 21 सितंबर के बीच पराली जलाने की घटनाओं के 10 से भी कम मामले सामने आए हैं, जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान 106 मामले सामने आए थे। विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों को चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि ऐसे मामले अभी बहुत कम देखे जा रहे हैं। डॉ. रविंदर खैरवाल (एडिशनल प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन एंड स्कूल) कहते हैं कि लंबे समय तक बारिश का दौर, बाढ़ के कारण क्षतिग्रस्त धान की रोपाई और पराली के सही प्रबंधन के अलावा जागरूकता के कारण इस मौसम में पराली जलाने की घटनाएं कम हो सकती हैं।

डॉ. रविंदर खैरवाल ने कहा कि 10 से 12 अक्टूबर तक पराली जलाने के कुछ ही मामले सामने आए हैं, लेकिन अक्टूबर के आखिरी और नवंबर के दूसरे सप्ताह में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ सकती हैं। पराली जलाने की अधिकांश घटनाएं पंजाब से दर्ज की जाती हैं, जो कुल मामलों का 80 से 85 प्रतिशत है, और अन्य मामले पड़ोसी राज्य हरियाणा से आते हैं।

पंजाब सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा कि राज्य में 1,17,672 सीआरएम मशीनें हैं और वास्तव में, इस वर्ष के दौरान 23,000 से अधिक मशीनें खरीदने की योजना बनाई गई है। सीआरएम मशीनें किराए पर लेने के लिए मोबाइल ऐप विकसित किया गया है। पंजाब सरकार की कार्य योजना का लक्ष्य इस वर्ष पराली जलाने के कुल मामलों में 50 प्रतिशत की कमी लाना है। धान का क्षेत्रफल लगभग 31 लाख हेक्टेयर है, जिससे अनुमानतः 20 मिलियन टन पराली उत्पन्न होगी। राज्य ने इन-सीटू प्रबंधन के माध्यम से लगभग 11.5 मिलियन टन और एक्स-सीटू प्रबंधन के माध्यम से 4.67 लाख मिलियन टन धान के भूसे का प्रबंधन करने का लक्ष्य रखा है। पराली का उपयोग चारे के अलावा ऊर्जा उत्पादन में भी किया जाएगा।

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