कृषि पिटारा

केंद्र सरकार ने लगाई नॉन बासमती चावल के निर्यात पर रोक

नई दिल्ली: भारत सरकार ने नॉन बासमती चावल के निर्यात पर बैन लगाने का फैसला किया है। इस फैसले से कई देशों में चावल की कमी होने संभावना है, खासकर उन देशों में जो भारत से चावल आयात करते हैं। यह बात खासतौर पर महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत विश्व का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है, यहां से यूरोप, अमेरिका, अफ्रीका और एशिया के कई देशों में चावल का निर्यात किया जाता है।

विशेषज्ञों के अनुसार, खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने नॉन बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगाई है। भारत में अधिकांश लोग चावल का सेवन करते हैं और खासतौर पर नॉन बासमती चावल का प्रयोग करते हैं। इससे यदि चावल के निर्यात में बढ़ोतरी होती, तो इसकी कीमतों में भी वृद्धि हो सकती थी, जिससे आम जनता को भोजन की समस्या हो सकती थी। इसी कारण सरकार ने अस्थायी रूप से नॉन बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगा दी है। भारत से सबसे ज्यादा नॉन बासमती चावल का निर्यात नेपाल, कैमरून, फिलीपींस, और चीन सहित कई देशों में होता है। नेपाल भारत का पड़ोसी देश है और बिहार और उत्तर प्रदेश से सीमा लगती है। इससे नेपाल को चावल के ट्रांसपोर्ट को बेहद कम खर्च करना पड़ता है। यदि नॉन बासमती चावल के इम्पोर्ट पर रोक रहती है, तो उन्हें अधिक खर्च करना पड़ेगा और इससे वहां चावल की कीमत बढ़ सकती है।

सूत्रों की मानें तो, नॉन बासमती चावल पर लगे बैन के चलते भारत से निर्यात होने वाले चावल पर लगभग 80 फीसदी का असर पड़ेगा। हालांकि, इससे रिटेल मार्केट में चावल की कीमतों में कमी का भी संभावना है। वहीं, दूसरे देशों में चावल की कीमतें बढ़ सकती हैं। विश्व की आधी आबादी चावल के सेवन करती है। पिछले साल भारत ने टूटे हुए चावल के इम्पोर्ट पर भी रोक लगा दी थी। सरकार ने बैन लगाने का फैसला केवल अस्थायी रूप से लिया है, लेकिन इससे भारतीय नॉन बासमती चावल उत्पादकों और निर्यातकों को प्रभावित हो सकता है। इसे अच्छे से परिसीमित करने के लिए सरकार ने उचित नीतियों का विकास करने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि सरकार के इस कदम से खाद्य पदार्थों की कीमतें नियंत्रित हो सकें और लोगों को भोजन की व्यवस्था में किसी प्रकार की कमी न हो।

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