कृषि पिटारा

केंद्र सरकार का दावा: गन्ना भुगतान में कमी, किसानों को नियमित भुगतान में राहत

नई दिल्ली: देश में गन्ना किसानों की सबसे बड़ी समस्या हमेशा से उनके भुगतान को लेकर रही है। हर साल प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों में यह समस्या सामने आती है, लेकिन इस बार केंद्र सरकार ने दावा किया है कि चीनी मिलें किसानों को गन्ने का भुगतान समय पर कर रही हैं, जिससे गन्ना बकाया में कमी आई है। उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री निमूबेन जयंतीभाई बंभानिया ने मंगलवार को संसद में यह जानकारी दी।

सदन में एक सवाल का जवाब देते हुए मंत्री ने बताया कि 5 मार्च 2025 तक चालू चीनी मार्केटिंग वर्ष (2024-25) में चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का कुल बकाया 15,504 करोड़ रुपये था। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पिछले कुछ वर्षों में गन्ना भुगतान की प्रक्रिया में सुधार आया है और अब मिलें बकाया भुगतान पर ध्यान दे रही हैं, जिसके कारण गन्ना बकाया में कमी देखी जा रही है।

मंत्री ने आगे कहा कि गन्ना किसानों को भुगतान की नियमितता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इनमें गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य तय करना और बफर चीनी से इथेनॉल बनाने की अनुमति देना शामिल है। उन्होंने बताया कि यह उपाय किसानों को गन्ना मूल्य के भुगतान में सहूलियत प्रदान कर रहे हैं और इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।

केंद्र सरकार ने गन्ना बकाया रोकने और चीनी उद्योग की समस्याओं का समाधान करने के लिए कुछ अन्य कदम भी उठाए हैं। सरकार ने चालू 2024-25 चीनी सत्र के दौरान 10 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी है। इसके अलावा, चीनी का न्यूनतम विक्रय मूल्य 31 रुपये प्रति किलो तय किया गया है। मंत्री ने बताया कि इन कदमों के परिणामस्वरूप गन्ना बकाया में महत्वपूर्ण कमी देखी गई है।

2023-24 चीनी सीजन तक 99.9% से अधिक गन्ना बकाया चुका दिया गया था, और चालू 2024-25 सीजन में 5 मार्च 2025 तक 80% से अधिक गन्ना बकाया चुका दिया गया है। गन्ना किसानों का कुल बकाया 15,504 करोड़ रुपये है। इसमें से उत्तर प्रदेश के चीनी मिलों पर 4,793 करोड़ रुपये, कर्नाटक की चीनी मिलों पर 3,365 करोड़ रुपये, महाराष्ट्र की चीनी मिलों पर 2,949 करोड़ रुपये और गुजरात की चीनी मिलों पर 1,454 करोड़ रुपये का बकाया है।

वहीं, अखिल भारतीय चीनी व्यापार संघ (AISTA) ने 2024-25 सत्र के लिए चीनी उत्पादन का दूसरा अनुमान जारी किया है। इसके अनुसार, भारत का चीनी उत्पादन 19 प्रतिशत घटकर 25.8 मिलियन टन रहने की संभावना है, जो पिछले सत्र में 31.9 मिलियन टन था। AISTA के पहले अनुमान से यह आंकड़ा 0.72 मिलियन टन कम है। प्रमुख उत्पादक राज्य जैसे महाराष्ट्र, तमिलनाडु और गुजरात में उत्पादन में गिरावट देखी जा रही है।

भारत के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में पिछले सत्र के 11 मिलियन टन उत्पादन से घटकर इस बार 8 मिलियन टन उत्पादन होने का अनुमान है। वहीं, उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन 9 मिलियन टन रहने का अनुमान है, जो पिछले सत्र में 10.4 मिलियन टन था। हालांकि, इस अनुमान में पहले से कोई खास बदलाव नहीं हुआ है।

इस प्रकार, सरकार के कदमों से गन्ना किसानों को राहत मिल रही है, लेकिन चीनी उत्पादन में कमी की वजह से आने वाले महीनों में कुछ चुनौतियाँ सामने आ सकती हैं।

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