नई दिल्ली: देश में कृषि विपणन को डिजिटल और पारदर्शी बनाने के लिए केंद्र सरकार जल्द ही ई-नाम 2.0 (e-NAM 2.0) लॉन्च करने की तैयारी में है। सरकार इस नई व्यवस्था के ज़रिए किसानों और व्यापारियों के लिए अंतरराज्यीय ऑनलाइन व्यापार को बढ़ावा देने पर फोकस कर रही है। फिलहाल ज्यादातर लेनदेन राज्य की सीमाओं के भीतर हो रहे हैं, लेकिन केंद्र अब चाहता है कि एक राज्य का किसान दूसरे राज्य के खरीदार से सीधे ऑनलाइन सौदा और भुगतान कर सके। इस दिशा में पहल करते हुए सरकार ने राज्यों के एपीएमसी एक्ट (APMC Act) में बदलाव के संकेत दिए हैं। बदलावों के पहले चरण में राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ को शामिल किया गया है, जिन्होंने ई-नाम 2.0 की रूपरेखा को स्वीकारने और आवश्यक संरचनात्मक सुधार करने पर सहमति जताई है।
क्या है ई–नाम और क्या बदलने जा रहा है?
ई-नाम (e-NAM) यानी Electronic National Agriculture Market, केंद्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसके तहत किसान अपनी उपज को ऑनलाइन बेच सकते हैं। इसमें किसान और व्यापारी फिजिकल मंडी में मौजूद हुए बिना भी व्यापार कर सकते हैं। यह पारंपरिक मंडी व्यवस्था की तुलना में अधिक पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी मानी जाती है। अब ई-नाम 2.0 के तहत सरकार इस डिजिटल प्लेटफॉर्म को और अधिक सशक्त बनाने जा रही है ताकि राज्य सीमाओं के पार लेनदेन को सुगम और सुरक्षित बनाया जा सके। इससे किसानों को बेहतर दाम, अधिक खरीदार विकल्प, और व्यापारी वर्ग को सीधा स्रोत मिलने की संभावना है।
राज्य सरकारों से संवाद शुरू, सुधार की दिशा में पहले चार राज्य
केंद्र ने राजस्थान, यूपी, एमपी और छत्तीसगढ़ से इस सुधार को लागू करने को कहा है। सूत्रों के अनुसार इन राज्यों ने केंद्र को भरोसा दिलाया है कि वे इंटर स्टेट ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक कानून और संरचनात्मक परिवर्तन करेंगे। इन राज्यों में ई-नाम पर हाल ही में हुए कुछ सफल अंतरराज्यीय ट्रांजैक्शन की मिसालें सामने आई हैं। राजस्थान के निंबाहेड़ा और रामगंज मंडी के किसानों ने अपनी उपज मध्य प्रदेश के नीमच और मंदसौर के व्यापारियों को बेची। उदाहरण के लिए, एक दिन में ही 50 क्विंटल मूंगफली ₹2,34,197 में बिकी, 45 क्विंटल गेहूं ₹1,13,548 में और 6 क्विंटल धनिया ₹43,896 में इंटर स्टेट ट्रांजैक्शन से बिका।
दूसरे चरण में गुजरात, महाराष्ट्र समेत पांच राज्य होंगे शामिल
केंद्र सरकार का अगला लक्ष्य गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, हरियाणा और ओडिशा हैं। इन राज्यों के मंडी बोर्ड के साथ डिप्टी एग्रीकल्चर मार्केटिंग एडवाइजर एस.के. सिंह लगातार संपर्क में हैं। बातचीत इस बात पर केंद्रित है कि कैसे इन राज्यों में भी ई-नाम को जमीनी स्तर पर लागू किया जा सके और इंटर स्टेट ट्रांजैक्शन को बढ़ाया जाए।
अभी भी ऑनलाइन ट्रांजैक्शन को लेकर हिचक
हालांकि सरकार डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा दे रही है, कई व्यापारियों और किसानों में ऑनलाइन व्यापार को लेकर हिचक अभी भी बनी हुई है। व्यापारी अक्सर परिचित किसानों से मंडी में मिलकर ऑफलाइन सौदा करना ज्यादा सुरक्षित मानते हैं। इसी तरह, किसान भी परिचित खरीदार को प्रत्यक्ष उपज दिखाकर सौदा करना ज्यादा सहज मानते हैं। एक व्यापारी ने बताया कि वे मंडी सचिव से ऑनलाइन ट्रांजैक्शन के लिए प्रेरित किए जाते हैं, लेकिन अनजान किसान और डिजिटल भरोसे की कमी उन्हें रोक देती है। यही कारण है कि ई-नाम 2.0 के तहत सरकार को न केवल तकनीकी सुधार लाने होंगे, बल्कि जमीनी स्तर पर विश्वास और क्षमता निर्माण पर भी फोकस करना होगा।
आगे की राह: डिजिटल कृषि मंडियों की दिशा में निर्णायक कदम
ई-नाम 2.0 को लेकर सरकार की मंशा स्पष्ट है – एक ऐसा राष्ट्रीय कृषि बाज़ार तैयार करना जिसमें राज्य सीमाएं बाधा न बनें। इसके लिए कानूनों में सुधार, डिजिटल अवसंरचना का विकास और किसानों-व्यापारियों में जागरूकता फैलाना अनिवार्य होगा। ऐसे में, यदि ई-नाम 2.0 सफल होता है, तो यह किसानों को बिचौलियों से मुक्ति दिलाने, उपज के सही दाम सुनिश्चित करने और कृषि क्षेत्र को डिजिटल परिवर्तन की ओर ले जाने में मील का पत्थर साबित हो सकता है। सरकार को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि यह बदलाव केवल नीति दस्तावेज़ों में सीमित न रहे, बल्कि देश के खेतों से लेकर मंडियों तक इसका प्रभाव साफ दिखाई दे।