नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सल्फर कोटेड यूरिया की शुरुआत करने का फैसला किया है। इससे उत्पन्न होने वाला यूरिया गोल्ड नामक उत्पाद धरती में सल्फर की मात्रा को बढ़ाएगा और तिलहन फसलों में तेल की मात्रा भी बढ़ाएगा। इसके साथ ही, सरकार ने नैनो यूरिया पर भी फोकस किया है और 2025-26 तक 44 करोड़ बोतलों की उत्पादन क्षमता वाले आठ नैनो यूरिया प्लांट चालू करने का निर्णय लिया है। नैनो यूरिया से किसानों की लागत कम होगी और पौधों को विशेष पोषण मिलेगा।
इस पैकेज के माध्यम से केंद्र सरकार ने किसानों के हित में कदम उठाए हैं और उन्हें यूरिया की बोरी में आर्थिक आराम प्रदान करने का प्रयास किया है। यह प्रयास किसानों को उचित मूल्य पर खाद की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सकारात्मक कदम है और उनकी आर्थिक उचाई को सुनिश्चित करने में मदद करेगा।
यूरिया एनबीएस योजना के बजाय, केंद्र सरकार ने एक अतिरिक्त पोषक तत्व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) योजना को 38,000 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है, जो 2023-24 के खरीफ मौसम के लिए है। इससे किसानों को यूरिया की खरीद के लिए अतिरिक्त खर्च करने की जरूरत नहीं होगी और इससे उन्हें खेती की लागत कम करने में मदद मिलेगी। फिलहाल, यूरिया सब्सिडी को इस पैकेज के अंतर्गत नहीं शामिल किया गया है।
यूरिया की वास्तविक एमआरपी (मिनिमम सामरिक रिटेल प्राइस) 266.70 रुपये प्रति 45 किलोग्राम है और इसकी वास्तविक कीमत लगभग 2200 रुपये है। सरकार दावा कर रही है कि यूरिया सब्सिडी स्कीम को जारी रखने से यूरिया का स्वदेशी उत्पादन अधिक होगा। सरकार ने रासायनिक उर्वरकों के कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि के कारण खाद की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है लेकिन फ़र्टिलाइज़र सब्सिडी को बढ़ाकर किसानों को कीमतों की वृद्धि से बचाया गया है। साल 2014-15 में उर्वरकों पर सब्सिडी केवल 73,067 करोड़ रुपये थी, जो 2022-23 में 2,54,799 करोड़ रुपये हो गई है।
यूरिया के अंधाधुंध इस्तेमाल की वजह से जमीन में धीरे-धीरे सल्फर की बहुत कमी हो गई है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार भारत की 42% जमीन में सल्फर की कमी है। किसान सामान्य तौर पर इसका इस्तेमाल नहीं करते हैं। इसलिए अब सरकार की नई पहल है कि यदि कोई किसान सौ किलो यूरिया डाल रहा है, तो उसके खेत में पांच से सात किलो सल्फर चला जाए। इससे सल्फर कोटिंग यूरिया से ग्राउंडवाटर प्रदूषण कम होगा और तिलहन फसलों में तेल की मात्रा बढ़ जाएगी। इस नई यूरिया को सल्फर कोटेड यूरिया के नाम से ‘यूरिया गोल्ड’ कहा जाएगा।
केंद्र सरकार ने कहा है कि यूरिया के स्वदेशी उत्पादन पर फोकस किया जा रहा है। साल 2014-15 में स्वदेशी उत्पादन 225 लाख मीट्रिक टन था, जो 2021-22 में बढ़कर 250 लाख मीट्रिक टन हो गया। नैनो यूरिया प्लांट के साथ मिलकर यूरिया में हमारी वर्तमान आयात पर निर्भरता कम होगी। साल 2025-26 तक हम इस मामले में आत्मनिर्भर बन जाएंगे। इसके अलावा, भूमि की उर्वरता बहाल करने के लिए प्रधानमंत्री प्रणाम (PM-PRANAM) योजना शुरू की गई है। इसके तहत उर्वरकों के संतुलित इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा। साथ ही इससे वैकल्पिक फर्टिलाइजर, नैनो फर्टिलाइजर और जैव फर्टिलाइजर को भी प्रोत्साहन मिलेगा।