लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में कृषि विभाग के एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव को मंजूरी मिली है। इस प्रस्ताव के तहत, यूपी में फलों और सब्जियों के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (Centre of Excellence) की स्थापना की जाएगी। यूपी के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने इसकी घोषणा की है। इस प्रस्ताव के अनुसार, कौशांबी जिले के ग्राम कोखराज में ‘Indo-Israel Centre of Excellence for Fruits’ का सेंटर स्थापित किया जाएगा। इस केंद्र को विभाजन और उद्यान विभाग के सहयोग से विकसित किया जाएगा। इसके लिए कृषि विभाग की 9 हेक्टेयर जमीन का उपयोग किया जाएगा। यह सेंटर किसानों को उन्नत फसलों के बीज, पौधे और सब्जियों की आपूर्ति प्रदान करेगा।
यूपी सरकार ने हाल ही में फलों और सब्जियों के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना का निर्णय लिया है। सभी 75 जिलों में ऐसे केंद्र स्थापित किए जाएंगे। पहला सेंटर कन्नौज जिले में बनाया गया है। इस सेंटर से किसानों सब्जियों की उन्नत किस्मों के बीज, पौध एवं सब्जियों की आपूर्ति की जाती है। इस कड़ी में बुंदेलखंड को वरीयता देते हुए बांदा में पिंड खजूर और अंजीर का, झांसी के बरुआसागर में नींबू वर्गीय फलों एवं सब्जियों का सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया जा रहा है। इसके अलावा हाल ही में यूपी सरकार ने सूबे के सभी 75 जिलों में फल एवं सब्जियों के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने का फैसला किया है।
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने यह बताया है कि कैबिनेट द्वारा मंजूर किया गया सेंटर कौशांबी जिले में तहसील सिराथू के ग्राम कोखराज में बनाया जाएगा। इसे कृषि विभाग की 9 हेक्टेयर जमीन पर विकसित किया जाना है। कृषि विभाग ने यहां फलों के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना करने के लिए इस जमीन की भूमि को उद्यान विभाग को निःशुल्क हस्तांतरित करने का प्रस्ताव कैबिनेट के समक्ष पेश किया गया था, जिसे स्वीकार कर लिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि मंत्रिपरिषद ने ‘एकीकृत बागवानी विकास मिशन’ योजना के अन्तर्गत भारत सरकार द्वारा जनपद कौशाम्बी के लिए स्वीकृत ‘इण्डो-इजराइल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर फ्रूट’ की स्थापना के लिए कौशांबी के ग्राम कोखराज में कृषि विभाग की 11.573 हेक्टेयर जमीन में से 09 हेक्टेयर जमीन उद्यान विभाग को निःशुल्क हस्तांतरित कराने की मंजूरी दी है। सरकार द्वारा इस सेंटर की स्थापना के लिए 6 करोड़ 51 लाख 64 हजार रुपये की अनुमोदना भी की गई है। इसमें केंद्र सरकार द्वारा दिए गए 3.90 करोड़ रुपये और राज्य सरकार की ओर से दिए जाने वाले 2.60 करोड़ रुपये शामिल हैं।
शाही ने बताया कि कैबिनेट की बैठक में एक और महत्वपूर्ण फैसला हुआ है जिसके अनुसार महात्मा बुद्ध कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुशीनगर को उपलब्ध भूमि की प्रदान की जाएगी। उन्होंने बताया कि कैबिनेट ने विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग के पक्ष में निःशुल्क भूमि का हस्तांतरण करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इसके साथ ही, कृषि बीज प्रक्षेत्र की कुल 58.97 एकड़ भूमि और मैत्रेए परियोजना के अंतर्गत संस्कृति विभाग की कुल 195.82 एकड़ भूमि में से 50 एकड़ भूमि को छोड़कर शेष 145.82 एकड़ भूमि भी प्रदान की गई है। इसके साथ ही, अब विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए कुल 204.79 एकड़ भूमि मिलने का रास्ता स्पष्ट हो गया है।
कृषि मंत्री के अनुसार यह विश्वविद्यालय के स्थापित होने से आसपास के 10 जनपदों के युवाओं को कृषि शिक्षा का लाभ मिलेगा। ये इलाके कृषि प्रधान हैं, किंतु शिक्षा और अन्य बुनियादी सुविधाओं के मामले में पिछड़े हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के तहत कुशीनगर में संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र और मसाला शोध फार्म की कुल 185.75 एकड़ भूमि के सम्बंध में आईसीएआर से सहमति प्राप्त होने के बाद विश्वविद्यालय के पक्ष में भूमि हस्तांतरण की कार्यवाई की जाएगी। भविष्य में कृषि विश्वविद्यालय की आवश्यकता के दृष्टिगत अन्य विभागों से भूमि प्राप्त करने की कार्रवाई भी समय पर की जाएगी। इस विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 में 50 करोड़ रुपये का बजट पहले ही प्राविधान किया गया है। इस परियोजना में प्रशासनिक भवन, छात्रावास, शोध के लिए प्रयोगशाला और अन्य बुनियादी सुविधाओं के लिए कम से कम 750 करोड़ रुपये का व्यय अनुमानित है।