रायपुर: मौसम विज्ञान विभाग ने छत्तीसगढ़ में बारिश और ओलावृष्टि होने का अनुमान लगाया है। इस बदलते मौसम को ध्यान में रखते हुए मौसम विभाग ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है। इसके अनुसार, किसानों को अपने खेतों में खड़ी फसलों का विशेष ध्यान देने की सलाह दी गई है। विशेषज्ञों के अनुसार, खेतों में खड़ी फसलों को पहुंचने वाले नुकसान से बचने के लिए किसानों को समय-समय पर सलाह दी जाती है। इससे किसान न केवल अपनी फसलों को सुरक्षित रख सकते हैं, बल्कि उन्हें बेहतर उत्पादन भी मिल सकता है।
समान्य सलाह के अनुसार, सभी किसानों को कंद वाली फसलों जैसे आलू, प्याज, हल्दी, अदरक और लहसुन की कटाई करनी चाहिए। कटाई करने से 15 दिन पहले से किसान इन फसलों में सिंचाई करना बंद कर दें। इसके साथ ही, सब्जियों की खेती को लेकर जारी किए गए सलाह में कहा गया है कि किसान सब्जियों के खेतों में निराई-गुड़ाई करें। साथ ही, मिट्टी की नमी के आधार पर फूलगोभी, पत्तागोभी, टमाटर, मटर, बैंगन और मिर्च जैसी सब्जियों की फसलों में हल्की सिंचाई करें।
विशेषज्ञों का कहना है कि समय से गेहूं की बुवाई की गई है, उनके खेतों में फूल आ रहे हैं और उनमें दाना भरने की प्रक्रिया चल रही है। इस अवस्था में पौधों को नमी के तनाव से बचाने के लिए खेत में नियमित सिंचाई करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, इस दौरान पौधों में झुलसा रोग का भी प्रकोप हो सकता है। झुलसा रोग लगने पर पौधे की पत्तियों पर भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। इससे बचाव के लिए किसानों को 3 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का प्रयोग करना चाहिए। सलाह दी जाती है कि किसान मौसम की निगरानी करें और फफूंदनाशक का छिड़काव करें, जिससे कि सरसों की फसल में एफिड कीट का प्रकोप न हो। एफिड कीट के खिलाफ लड़ाई में इमिडाक्लोप्रिड17.8 एस.एल. का प्रयोग करें।
समय पर बोई गई अगेती अवधि की फसलें अब परिपक्वता के करीब पहुंच रही हैं, और जब सिलिका बदल जाए तो फसलों की कटाई की जा सकती है। इसके लिए किसानों को खेत की लगातार निगरानी करनी चाहिए और फफूंदी के प्रकोप के मामले में तत्पर रहना चाहिए।