नई दिल्ली: ये तो हम सभी जानते हैं कि रासायनिक कीटनाशकों के कई नकारात्मक प्रभाव होते हैं। रसायनिक कीटनाशकों के इस्तेमाल से फसल दूषित हो जाती है। इसके अलावा ये काफी महंगे भी होते हैं। यही नहीं, आजकल बाज़ार में कई ऐसे रासायनिक कीटनाशक मौजूद हैं, जिनमें भरपूर मात्रा में मिलावट होने की खबरें अक्सर सुनने को मिलती हैं। मिलावटी कीटनाशक फसल पर पूरी तरह से निष्क्रिय साबित होते हैं, इस वजह से पैदावार पर इसका सीधा असर पड़ता है। ऐसे में बेहतर होगा कि आप जैविक विधि से कीटों का प्रबंधन करें।
जैविक विधि से कीटों के प्रबंधन के तहत आप फसल में मित्र कीट व परजीवी कीट छोड़ सकते हैं। लेडी बर्ड बीटल एक ऐसा ही मित्र कीट है, जो फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कई कीटों को समाप्त कर देता है। यह कीट क्राइसोपा, हरतीला, सफ़ेद मक्खी, थ्रिप्स, माइट और पीड़ के अंडो को प्रथम अवस्था में ही खा जाता है।
इसके अलावा ट्राइकोग्रामा एक परजीवी कीट है, जो इल्लियों के अंडों के ऊपर रहकर उनका जीवन समाप्त कर देता है। किसान मित्रों, जैविक विधि से कीटों पर नियंत्रण के लिए एक साथ अलग-अलग फसलों को उगाएँ। हरी सुंडी को नष्ट करने के लिए नीम तेल की 5 मिलीलीटर मात्रा को प्रति लीटर पानी में मिलकर फसल पर छिड़काव करें। सुंडियों पर नियंत्रण के लिए बीटी की एक किलोग्राम मात्रा को 500 लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव करें। जबकि, अमेरिकन सुंडी के लिए आप एनपीवी 250 एलई का छिड़काव कर सकते हैं।
निमेटोड पर नियंत्रण के लिए आप नीम की खली 1 टन प्रति हेक्टर की दर से फसल की बुआई से पहले खेत में डाल सकते हैं। कड़ी फसलों में दीमक की रोकथाम के लिए आप नीम का तेल 4 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से बुआई से पहले खेत में डाल सकते हैं। आपको बता दें कि बिवेरिया बेसियाना सुंडीयो, दीमक और सफ़ेद लट को नियंत्रित करने में काफी असरदायक साबित होता है। इसलिए ढाई किलो बावेरिया को 100 किलोग्राम गोबर की खाद में मिलाकार भूमि में डालें। इसके अलावा मट्ठा, गोमूत्र, आधा किलो छिला हुआ लहसुन, नीम, धतूरे के मिश्रण से जैविक कीटनाशक तैयार करके भी विभिन्न कीटों को नियंत्रित किया जा सकता है।