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कोरोना का कहर: उत्तर प्रदेश के 35 लाख मजदूरों के लिए आर्थिक सहायता की घोषणा

लखनऊ: कोरोना वायरस के संक्रमण से इस समय पूरी दुनिया प्रभावित है। इससे बचाव के लिए समूचा वैश्विक समुदाय एकजुट खड़ा है। कोरोना से बड़े पैमाने पर जानमाल की हानि तो हो ही रही है पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था लगातार मंदी की चपेट में आ रही है। अलग-अलग देशों और राज्यों की सरकारें अपने-अपने तरीके से कोरोना के प्रभाव से निपटने में लगी हुई हैं। अभी हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका में उन लोगों के लिए राहत देने की घोषणा की जो अपनी नौकरियाँ खो चुके हैं। भारत में भी केरल सरकार ने कोरोना से प्रभावित जनता के लिए एक बहुत ही व्यापक आर्थिक सहायता की घोषणा की है।

कोरोना के संक्रमण को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने भी एहतियातन राज्य के सभी मॉल्स, स्कूलों और कॉलेजों को बंद करने का आदेश दे दिया है। राज्य के हर जिला अस्पताल और मेडिकल कालेज में आइसोलेशन वार्ड बनाए गए हैं। उत्तर प्रदेश में अब तक कुल 23 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं। इनमें से नौ लोग इसके संक्रमण से उबर गए हैं जबकि शेष 14 की हालत में भी काफी सुधार है। सरकार लोगों से गैर जरूरी यात्राएं न करने और भीड़ भाड़ वाले स्थानों से बचने की अपील कर रही है।

इसी बीच उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तत्काल प्रभाव से राज्य के 35 लाख मजदूरों को भरण-पोषण के लिए 1000 रुपये प्रति व्यक्ति आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। यह भुगतान डीबीटी के माध्यम से सीधे उनके बैंक खाते में भेजा जाएगा। यही नहीं, उन्होंने 1.65 करोड़ से ज्यादा अन्त्योदय योजना, मनरेगा और श्रम विभाग में पंजीकृत निर्माण श्रमिक एवं दिहाड़ी मजदूरों को अप्रैल महीने में एक माह का निशुल्क राशन उपलब्ध करवाने के के भी निर्देश दिए हैं। इस पर करीब 64.50 करोड़ का व्ययभार आएगा। अनाज का वितरण पीडीएस दुकानों के जरिए किया जाएगा। इसके लिए नोडल अफसर तैनात किए गए हैं। इन परिवारों को 20 किलो गेहूं और 15 किलो चावल दिया जाएगा।

सरकार के फैसले से अवगत कराते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि, “इसका असर दिन-प्रतिदिन आजीविका कमाने वाले लोगों पर होगा। इसके लिए हमारी सरकार ने वित्त मंत्री सुरेश खन्ना के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर दिहाड़ी मजदूरों के लिए प्रदेश सरकार ने भरण-भोषण के भत्ते की मंजूरी दी है। इस समय प्रदेश के अंदर श्रम विभाग में 20.37 लाख श्रमिक पंजीकृत हैं।”

आपको बता दें कि राज्य के शहरी क्षेत्र में एसे दिहाड़ी मजदूर जिनके पास राशन कार्ड उपलब्ध नहीं है, उनके कार्ड प्राथमिकता के आधार पर बनाए जाएंगे। उत्तर प्रदेश में घुमन्तू जैसे ठेला, खोमचा, रेहड़ी और रिक्शा चलाने वाले और साप्ताहिक बाजारों आदि से अपना भरण-पोषण करने वाले लोगों की संख्या करीब 15 लाख है। सरकार इन्हें भी तत्काल प्रभाव से एक हजार रुपए देगी। यह राशि डीबीटी के माध्यम से उनके बैंक खाते में भेजा जाएगी। इसके लिए नगर विकास द्वारा अगले 15 दिनों में डेटाबेस तैयार किया जाएगा। जिन श्रमिकों के खाते नहीं है, उनके खाते यथाशीघ्र खुलवाकर विभाग में लेबर सेस फंड से सभी श्रमिकों को प्रतिमाह 1000 रुपए डीटीबीटी के माध्यम से उपलब्ध करवाए जाएंगे। इस पर सरकार का करीब 150 करोड़ रुपए का व्यय भार अऩुमानित है।

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