नई दिल्ली: मवेशियों को लंपी और मिर्च की फसल के थ्रिप्स रोग की चपेट में आने के कारण देश के दूध और मिर्च उत्पादन में गिरावट हुई है। आँकड़ों के अनुसार दूध उत्पादन दर में 2 प्रतिशत तक की कमी आई है। वित्त वर्ष 2022-23 में लंपी रोग से बड़े पैमाने पर मवेशियों की मृत्यु के बाद देश में दूध उत्पादन दर में गिरावट हुई है, जिससे 2021-22 में 5.77 प्रतिशत की वृद्धि दर घटकर 2022-23 में 3.83 प्रतिशत हो गई है। मई 2022 से मार्च 2023 तक लंपी रोग की वजह से 1.86 लाख से ज्यादा पशुओं की मृत्यु हुई है और 32.80 लाख से अधिक पशु रोग से ग्रस्त हुए हैं। लंपी रोग के कारण पशुओं के शरीर पर गांठें बनती हैं, जिससे उन्हें बुखार हो सकता है और यह रोग उनकी मौत तक पहुंच सकता है।
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने बताया कि लंपी रोग के कारण दूधारु पशुओं की दूध की मात्रा में गिरावट हुई है, जिससे देश का कुल दूध उत्पादन भी कम हो गया है। इसके साथ ही, मिर्च की फसल को थ्रिप्स रोग की वजह से काफी नुकसान हुआ है, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर मिर्च का उत्पादन 2020-21 में 20.49 लाख टन से घटकर 2021-22 में 18.36 लाख टन रह गया है। थ्रिप्स रोग के कारण फसल को नुकसान होने से आंध्र प्रदेश में मिर्च का उत्पादन भी कम हो गया है, जिससे उत्पादन 2021-22 में 4-5 टन प्रति हेक्टेयर से 1.86 टन प्रति हेक्टेयर तक गिरा है।
केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने इस बारे में लोकसभा में जवाब देते हुए कहा कि राष्ट्र का कुल दूध उत्पादन बढ़ रहा है, लेकिन इन रोगों के कारण उत्पादन में गिरावट हो रही है और सरकार इसका सामना उचित उपायों के साथ कर रही है। दूध उत्पादन में वृद्धि दरों की गिरावट के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव हो सकते हैं, और सरकार को इससे उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने के लिए नई नीतियों और उपायों को अधिक प्रोत्साहित करने की जरूरत है।