नई दिल्ली: देश में दालों के आयात में एक और बड़ी वृद्धि के बीच, दलहन फसलों की बुआई में हुई भारी कमी के कारण आने वाले समय में दालों के भाव में उछाल आने की संभावना है। खरीफ सीजन में दलहन के क्षेत्र में 2022 के मुकाबले 10.72 लाख हेक्टेयर की कमी दर्ज की गई है, जिससे बढ़ती मांग और आयात पर निर्भरता में और बढ़ोतरी की आशंका है।
कृषि मंत्रालय ने 29 दिसंबर 2023 को फसलों की बुआई के संबंध में जारी किए गए आंकड़ों के साथ दलहनी फसलों की बुआई में कमी के बारे में चिंता जताई है। इसके परिणाम स्वरूप देश के खरीफ सीजन में दलहनी फसलों का क्षेत्र 2022 के मुकाबले 5.41 लाख हेक्टेयर कम हो गया है। 2023 के खरीफ सीजन में सिर्फ 123.57 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ही दलहनी फसलों की बुआई हुई है, जबकि 2022 के दौरान इसका रकबा 128.98 लाख हेक्टेयर था। इसी तरह, चने की खेती में भी 8.75 लाख हेक्टेयर की कमी दर्ज की गई है।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस कमी के कारण देश को दालों के आयात निर्भरता में और वृद्धि का सामना करना पड़ सकता है। बाजार में दालों की बढ़ती मांग के बीच आयात में वृद्धि महंगाई में और बढ़ोतरी का संभावित संकेत है। आंकड़ों के अनुसार, केंद्र सरकार ने आयात पर निर्भरता को देखते हुए अरहर और उड़द दाल के मुक्त आयात को एक साल और बढ़ाकर 31 मार्च 2024 तक कर दिया है। यह कदम देश में दालों के दामों को नियंत्रित करने के एक प्रयास के रूप में किया गया है। दलहनी फसलों की बुआई में कमी और बढ़ती आयात निर्भरता के बीच, बाजार में दालों के दामों में वृद्धि की व्यापक संभावना बन रही है। भविष्य में किसानों को सही दाम मिलें और खाद्य सुरक्षा की स्थिति मजबूत रहे, इसके लिए सरकार को कदम उठाने की काफी आवश्यकता है।