कृषि पिटारा

दिल्ली में विश्व के दूसरे सबसे बड़े आधुनिक जीन बैंक का शुभारंभ

नई दिल्ली: सोमवार को राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, पूसा (नई दिल्ली) में विश्व के दूसरे सबसे बड़े नवीनीकृत-अत्याधुनिक राष्ट्रीय जीन बैंक की शुरुआत की गई। इसका लोकार्पण केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के द्वारा किया गया। इस अवसर पर कृषि मंत्री ने कहा कि, “कृषि क्षेत्र के समक्ष विद्यमान चुनौतियों को स्वीकार करते हुए उन पर विजय प्राप्त करने में भारत के किसान पूरी तरह सक्षम हैं। हमारे किसान बिना किसी बड़ी शैक्षणिक डिग्री के भी कुशल मानव संसाधन हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसानों की भलाई की लगातार चिंता रहती है। वो कई योजनाओं के जरिए उनकी आय बढ़ाने का काम कर रहे हैं।”

राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, पूसा बीजों की विरासत को माइनस 20 डिग्री सेल्सियस तापमान में वर्षों तक सहेज कर रख सकने में सक्षम है। श्री तोमर ने कृषि क्षेत्र की वर्तमान आवश्यकताओं और तकनीक के मध्य समंजस्य स्थापित करने की भी बात कही। उन्होने कहा कि, “आज बायोफोर्टिफाइड फसलों की किस्मों की आवश्यकता महसूस की जा रही है। कहीं ना कहीं असंतुलन है, जिसे दूर करने की कोशिशें सरकार किसानों को साथ लेकर कर रही है। पुरातन काल में साधन-सुविधाओं का अभाव था, इतनी टेक्नोलॉजी भी नहीं थी, लेकिन प्रकृति का ताना-बाना मजबूत था, पूरा समन्वय रहता था। जिससे तब देश में न तो कुपोषण था, ना ही भूख के कारण मौतें होती थीं। जब यह ताना-बाना टूटा तो हमें मुश्किलें पेश आने लगीं और विशेष प्रयत्न करने की जरूरत पड़ी। सरकार के किसानों व कृषि वैज्ञानिकों के साथ सफल प्रयत्नों के फलस्वरूप आज खाद्यान्न की उत्पादन व उत्पादकता निरंतर बढ़ रही है। बीस-तीस साल पहले इतने प्रयत्न नहीं किए गए, खेती-किसानी के विकास पर जितना ध्यान दिया जाना चाहिए था, उसमें चूक हुई अन्यथा कृषि व संबद्ध क्षेत्र कहीं ज्यादा आगे होता।”

आपको बता दें कि नेशनल जीन बैंक में बीज के रूप में लगभग 10 लाख जर्मप्लाज्म को संरक्षित करने की क्षमता है। वर्तमान में यह 4.52 लाख बीजों का संरक्षण कर रहा है, जिसमें 2.7 लाख भारतीय जननद्रव्य हैं। शेष अन्य देशों से आयात किए हैं। राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, दिल्ली मुख्यालय व देश में 10 क्षेत्रीय स्टेशनों के माध्यम से इन-सीटू और एक्स-सीटू जर्मप्लाज्म संरक्षण की आवश्यकता को पूरा कर रहा है।

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