कृषि समाचार

बासमती 1847 के बीज की मांग बढ़ी, ऑनलाइन ऑर्डर पर मिल रही छूट और फ्री जैकेट

जून का महीना शुरू होते ही देश के लगभग सभी राज्यों में किसानों ने खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान की खेती की तैयारियां शुरू कर दी हैं। उत्तर भारत से लेकर पूर्वी और दक्षिणी राज्यों तक खेतों में हल चलने लगे हैं, और कई इलाकों में किसान धान का बिचड़ा डालने में जुट गए हैं। यह वही समय है जब नर्सरी में धान की पौध तैयार की जाती है, ताकि कुछ ही हफ्तों में उसकी रोपाई खेतों में की जा सके। धान की फसल भारत में पारंपरिक खेती का अहम हिस्सा रही है, और इसकी विभिन्न किस्मों में बासमती धान खासतौर पर अपनी सुगंध और स्वाद के लिए सबसे अधिक लोकप्रिय है।

बासमती धान की खेती न केवल घरेलू बाजार में बल्कि अंतरराष्ट्रीय निर्यात में भी किसानों के लिए एक बड़ा अवसर लेकर आती है। खासतौर पर जिन किसानों के पास सिंचित भूमि है, उनके लिए बासमती धान की कुछ खास किस्में बेहतर उत्पादन और मुनाफा देने का जरिया बन सकती हैं। इस सिलसिले में पूसा बासमती 1847 नाम की एक उन्नत किस्म इन दिनों किसानों के बीच चर्चा में है। यह किस्म भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित की गई है और इसे राष्ट्रीय बीज निगम (NSC) के माध्यम से किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है।

पूसा बासमती 1847 को उसकी गुणवत्ता, उपज और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जाना जाता है। यह किस्म करीब 130 से 140 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर औसतन 45 से 50 क्विंटल तक उपज देती है। इसके दाने लंबे, पतले और आकर्षक होते हैं, जो पकने के बाद भी अपनी सुगंध और स्वाद बरकरार रखते हैं। यह किस्म विशेष रूप से उन किसानों के लिए बेहतर मानी जा रही है जो परंपरागत बासमती की खुशबू के साथ-साथ उच्च उत्पादन की भी अपेक्षा रखते हैं। इस किस्म की एक और बड़ी विशेषता यह है कि यह पकने के समय दानों के गिरने या झड़ने की समस्या से मुक्त है।

जो किसान इस खरीफ सीजन में पूसा बासमती 1847 की खेती करना चाहते हैं, वे अब इस किस्म के बीज घर बैठे ऑनलाइन मंगवा सकते हैं। राष्ट्रीय बीज निगम की आधिकारिक वेबसाइट पर यह बीज 12 प्रतिशत की छूट के साथ उपलब्ध है। 10 किलो के बीज पैकेट की कीमत छूट के बाद 790 रुपये रखी गई है। इतना ही नहीं, बीज खरीदने वाले किसानों को एक आकर्षक जैकेट भी मुफ्त में दी जा रही है, जो इस योजना को और भी लाभकारी बना रही है।

धान की खेती की बात करें तो इसकी शुरुआत खेत की अच्छी तैयारी से होती है। किसानों को चाहिए कि वे खेत को अच्छी तरह जोतें और समतल करें ताकि जल प्रबंधन बेहतर हो सके। जो किसान सीधी बुवाई करना चाहते हैं, उन्हें खेत में हल्की नमी बनाए रखनी चाहिए और बीजों को सीधे छिड़काव के जरिए बोना चाहिए, ठीक उसी तरह जैसे गेहूं की बुवाई की जाती है। वहीं, जो किसान परंपरागत तरीके से रोपाई करना पसंद करते हैं, वे पहले नर्सरी में धान के पौधे तैयार करें और फिर उन्हें पानी से भरे खेतों में रोपें।

कुल मिलाकर, खरीफ का यह मौसम किसानों के लिए नई उम्मीदें और संभावनाएं लेकर आया है। उन्नत किस्मों के साथ सही तकनीक और योजना बनाकर किसान इस सीजन में न केवल बेहतर फसल उगा सकते हैं, बल्कि अपने मुनाफे में भी इजाफा कर सकते हैं। पूसा बासमती 1847 जैसी किस्में उन्हें पारंपरिक बासमती चावल की पहचान के साथ आधुनिक कृषि तकनीक का लाभ उठाने का मौका देती हैं।

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