नई दिल्ली: आने वाले समय में एथनॉल एक महत्वपूर्ण ईंधन बन सकता है। केंद्र सरकार ने बताया है कि देश में कुल एथनॉल उत्पादन क्षमता साल के अंत तक 25 प्रतिशत बढ़कर 1,250 करोड़ लीटर हो सकती है। एथनॉल परियोजनाओं की तेजी से मंजूरी के लिए सरकार की ओर से कदम उठाए जा रहे हैं। इस दिशा में बैंकों ने अब तक एथनॉल परियोजनाओं के लिए 20,000 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण मंजूर किए हैं, जिनमें से 10,000 करोड़ रुपये पहले ही ब्याज अनुदान योजना के तहत जारी किए जा चुके हैं। उद्योग मंडल एसोचैम द्वारा ‘भविष्य के लिए ईंधन’ पर आयोजित एक सम्मेलन में कहा गया है कि अब तक करीब 225 परियोजनाओं को इसका फायदा मिला है। भारत ने पिछले दो वर्षों में पेट्रोल के साथ एथनॉल मिश्रण को दोगुना कर 10 प्रतिशत कर दिया है। ऐसा अनुमान जताया जा रहा है कि एथनॉल मिश्रण इस साल 12 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा और 2025 तक 25 प्रतिशत मिश्रण का लक्ष्य पूरा हो जाएगा।
आजकल गन्ना उत्पादकों को ही नहीं, बल्कि खाद्यान्न उगाने वाले किसानों को भी एथनॉल बनाने से फायदा हो रहा है, क्योंकि उन्हें टूटे चावल के बेहतर दाम मिल रहे हैं। सरकार ने एथनॉल उत्पादन के लिए चीनी के अलावा टूटे चावल के इस्तेमाल की अनुमति दे दी है। बीते दिनों खबर सामने आई थी कि पेट्रोलियम मंत्रालय खराब हो चुके खाद्यान्नों से बने इथेनॉल के दाम में जल्द बदलाव का फैसला कर सकता है। हालांकि, उद्योग जगत इथेनॉल के लिए उच्च दर की मांग भी कर रहा है। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि तेल मार्केटिंग कंपनियां इसे मौजूदा 55.54 रुपये से बढ़ाकर 58.50 रुपये प्रति लीटर कर देंगी। फिलहाल भारतीय खाद्य निगम ने उगाए गए चावल से बने इथेनॉल की कीमत 58.50 रुपये प्रति लीटर निर्धारित की है।
अभी सरकार ने एफसीआई के अतिरिक्त चावल के लिए 20 रुपये किलो चार्ज करने का फैसला किया है, जिसका उपयोग इथेनॉल बनाने के लिए किया जाएगा। क्योंकि खुले बाजार में चावल की कीमत अभी बढ़ गई है। यहां तक कि टूटे हुए अनाज भी अब अधिक महंगे बिक रहे हैं। एफसीआई के एक अधिकारी के अनुसार चूंकि यह तेल मार्केटिंग कंपनियों द्वारा लिया गया एक व्यावसायिक निर्णय है, इसलिए इसपर पेट्रोलियम मंत्रालय अंतिम निर्णय लेगा। और इस निर्णय के लिए कैबिनेट की मंजूरी की आवश्यकता होगी।