नई दिल्ली: भारत में गेहूं के बढ़ते दामों और महंगाई के प्रभाव के चलते किसानों व आम उपभोक्ताओं के लिए बड़ी मुसीबतें आ रही हैं। ओपन मार्केट सेल स्कीम (OMSS) के शुरू होने के बावजूद, गेहूं के दाम में कमी नहीं दिख रही है। ओएमएसएस के तहत, सरकार ने 9 अगस्त को कहा था कि वह महंगाई को काबू में करने के लिए 50 लाख टन गेहूं रियायती दर पर बेचेगी, लेकिन इसके बावजूद दामों में कोई महत्वपूर्ण कमी नहीं आई है।
देशभर में गेहूं के दाम ओपन मार्केट में बढ़कर 29.96 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं, जबकि अधिकतम दाम 59 रुपये प्रति क्विंटल है। इसके बावजूद, बाजारों में गेहूं का दाम एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) से अधिक हो रहा है, यह मूल्य अभी 2125 रुपये प्रति क्विंटल है। गेहूं के साथ ही, आटा के दामों में भी कोई महत्वपूर्ण कमी नहीं आई है। ओपन मार्केट में आटा का न्यूनतम भाव 35.36 रुपये प्रति किलो और अधिकतम दाम 67 रुपये प्रति किलो है।
किसानों के बदलते दामों के बावजूद, सरकारी आंकड़े इसे मानते हैं कि गेहूं और आटा सस्ता हो रहा है। इसके बावजूद, बाजारों में आम उपभोक्ताओं के लिए कोई फायदा नहीं हो रहा है। ओपन मार्केट सेल स्कीम का उद्देश्य था किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्त हो सके, लेकिन अब इसके परिणाम के बारे में सवाल उठ रहे हैं। कुछ किसान इस उम्मीद में हैं कि वे अपने गेहूं को और बेहतर मूल्य पर बेच सकते हैं, लेकिन दामों में अभी तक कोई बड़ा सुधार नहीं दिख रहा है। इसके अलावा, सरकार ने 2022 में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है, जिसके कारण विदेशों में गेहूं की कमी हो रही है, जो दामों को भी बढ़ा रहा है। फिलहाल ओपन मार्केट सेल स्कीम के बावजूद गेहूं के दामों में कमी नहीं दिख रही है, जिसके चलते किसानों और आम उपभोक्ताओं के लिए परेशानियां बढ़ रही हैं।