नई दिल्ली: किसानों को वैज्ञानिक तकनीकों और आधुनिक कृषि नवाचारों से जोड़ने के लिए केंद्र सरकार ने एक महत्वाकांक्षी अभियान की शुरुआत की है। यह अभियान “विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025” (VKSA 2025) के नाम से जाना जा रहा है, जो 29 मई से 12 जून तक देशभर में चलाया जा रहा है। इस दौरान लाखों वैज्ञानिक, कृषि विशेषज्ञ और अधिकारी देश के अलग-अलग हिस्सों में किसानों के खेतों तक पहुंचेंगे और उन्हें सीधे तौर पर नई तकनीकों, समाधानों और योजनाओं की जानकारी देंगे। सरकार का उद्देश्य है कि वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं में विकसित तकनीकें अब सीधे किसानों के खेतों तक पहुंचे, जिससे कृषि उत्पादन और किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि हो।
बुधवार को कोच्चि स्थित आईसीएआर- केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (CMFRI) में आयोजित VKSA के विशेष सत्र में आईसीएआर के उप महानिदेशक (पशु विज्ञान) डॉ. राघवेंद्र भट्टा ने कहा कि यह अभियान भारत के कृषि क्षेत्र में एक निर्णायक बदलाव लाने वाला है। उन्होंने बताया कि “लैब टू लैंड” की यह पहल खरीफ सीजन में फसल उत्पादकता को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में मदद करेगी। इसके जरिए किसानों को न सिर्फ वैज्ञानिक तरीकों से अवगत कराया जा रहा है, बल्कि उनकी जमीनी समस्याओं को मौके पर ही समझकर हल भी किया जा रहा है।
डॉ. भट्टा इस अभियान के तहत केरल, कर्नाटक और लक्षद्वीप में समन्वयक की भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने बताया कि देश के 700 से अधिक जिलों में यह अभियान एक साथ चल रहा है, जिसमें आईसीएआर के 113 संस्थान और 731 कृषि विज्ञान केंद्रों के वैज्ञानिकों को शामिल किया गया है। इन वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के साथ राज्य सरकारों के कृषि, बागवानी, पशुपालन और मत्स्यपालन विभागों के अधिकारी भी किसानों के बीच सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।
किसानों की समस्याओं को समझने और तत्काल समाधान देने की दिशा में इस अभियान का दृष्टिकोण बिल्कुल अलग है। वैज्ञानिक नवाचारों को किसानों की पारंपरिक और स्वदेशी कृषि जानकारी के साथ जोड़ा जा रहा है, जिससे एक समन्वित समाधान तैयार हो रहा है। इससे फसल की पैदावार के साथ-साथ पशुधन उत्पादकता और जलीय कृषि उत्पादन में भी बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है।
केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (CMFRI) इस अभियान के माध्यम से किसानों को समुद्री खेती की आधुनिक तकनीकों से जोड़ने में भी जुटा है। वैज्ञानिक किसानों को पिंजरा मछली पालन, समुद्री सजावटी मछलियों की खेती, समुद्री शैवाल की खेती और उसकी कटाई की तकनीकों से अवगत करा रहे हैं। ये सभी तरीके न केवल आय बढ़ाने वाले हैं, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी हैं। इसके अलावा, इन विधियों को अपनाने से समुद्री समुदायों को वैकल्पिक और स्थायी आजीविका के अवसर भी मिल रहे हैं।
डॉ. भट्टा ने बताया कि वैज्ञानिकों और किसानों के बीच इस प्रत्यक्ष संवाद से न केवल जानकारी का प्रवाह बेहतर हुआ है, बल्कि किसान भी अब नई तकनीकों को अपनाने के लिए अधिक उत्साहित और प्रेरित दिख रहे हैं। कई किसानों ने कहा कि यह पहली बार है जब किसी वैज्ञानिक ने उनके खेत पर आकर समस्या सुनी और तत्काल समाधान बताया। इससे उनकी वैज्ञानिक विधियों के प्रति समझ और विश्वास दोनों बढ़े हैं। VKSA 2025 जैसे प्रयासों से स्पष्ट है कि सरकार अब कृषि को केवल एक उत्पादन का माध्यम न मानकर उसे तकनीकी रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर बनाना चाहती है। यदि यह अभियान देशभर में अपेक्षित परिणाम देता है, तो आने वाले समय में यह भारत को न केवल कृषि उत्पादन में अग्रणी बनाएगा, बल्कि वैज्ञानिक सोच और नवाचार के बल पर एक नई ग्रामीण क्रांति का मार्ग भी प्रशस्त करेगा।